नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। बच्चा अगर सुन पाने में असमर्थ हो तो उसके अभिभावक की त्रासदी समझी जा सकती है। लेकिन उसका इलाज महंगा होता है जो किसी गरीब परिवार के लिए आसान नहीं होता। हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने ऐसे बच्चों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था की हुई है। मुंबई में एक डॉक्टर तो ऐसे हैं जो इस तरह के बच्चों का घूम-धूम कर मुफ्त इलाज कर रहे हैं। ये हैं डॉ. मनीष जुवेकर जिनके काम के बारे में न केवल जानना जरूरी है बल्कि एक सैल्यूट भी।
कॉक्लियर इम्प्लांट एक खर्चीली सर्जरी
डॉ. मनीष बच्चों की कान की आवाज दोबारा लौटाने का बीड़ा उठा रहे हैं। उनके पास कोई सुनने में असक्षम गरीब मरीज आता है तो वह उनकी खुलकर मदद करते हैं। कॉक्लियर इम्प्लांट में करीब 14 लाख रुपये का खर्च आता है। सिर्फ सर्जरी का ही खर्च तीन लाख रुपये होता है। इसके लिए उन्होंने कई एनजीओ से संपर्क बना रखा है। अब तक वह 200 से ज्यादा लोगों की सुनने की क्षमता वापस ला चुके हैं।
NGO की मदद से बच्चों का कल्याण
रिपोर्ट के अनुसार राधा मोहन मेहरोत्रा ट्रस्ट जैसे कई और ट्रस्ट मरीजों की सर्जरी में इस्तेमाल होने वाला उपकरण मुफ्त देते हैं। उपकरण मिलने के बाद डॉ. मनीष अपने अस्पताल में ही मुफ्त सर्जरी करते हैं। सजैरी में सहायता देने के लिए उनके मित्र डॉक्टर आकर मुफ्त सहायता देते हैं। चूंकि इसकी सर्जरी जटिल होती है इसलिए कम डॉक्टर कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी करते हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों के मरीजों का उनके घर के करीब ही मुफ्त उपचार करने के लिए डॉ. मनीष स्थानीय डॉक्टरों को ट्रेनिंग देने का भी काम कर रहे हैं। उनकी इस पहल से कई जिलों में कुछ डॉक्टर भी मरीजों की मुफ्त सर्जरी करने लग गये हैं।
स्पीच थेरेपी की व्यवस्था भी मुफ्त
जानकारी के मुताबिक सर्जरी के बाद शब्द और आवाज पहचानने के लिए करीब एक साल तक स्पीच थेरेपी की जरूरत पड़ती है। यह मदद भी मरीजों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है। सुनने की क्षमता नहीं होने की वजह से मरीज बोल भी नहीं पाते हैं। स्पीच थेरेपी से मरीज सामान्य जीवन जीने लगते हैं।