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जानें तनाव, लक्षण और उससे उबरने के गुर

डॉ॰ मनोज कुमार

पटना (स्वस्थ भारत मीडिया)। अशोक शर्मा के बेटे का एग्जाम शुरू होने के एक सप्ताह पहले से उसका पेट बार बार खराब हो रहा। अनु इस साल अठारह साल की हो गयी है। दिल्ली में रखकर पढाई के लिए उनके पापा भेजना चाह रहे, यह सब जान सुनकर उनके अनु के हाथ पांव फूल रहे। यह कुछ ऐसे लोग है जो सामान्य तनाव के शिकार हैं। दरअसल दिखने मे रोजमर्रा के ये स्ट्रैस व्यक्ति के जीवन मे खलल पैदा कर देता है। हम सब दैनिक जीवन मे नौकरी, रिश्ते, स्वास्थ्य को भरपूर तरीके से मैनेज करने की कोशिश करते है परंतु दैनिक तनाव की अनदेखी।

क्या है यह तनाव

जब आप के मन के विपरीत कुछ भी हो रहा हो वह सब तनाव का रूप है। यह दो तरीके से प्रभावित करता है। पहली बात कि यह सकारात्मक रूप से निरंतर आपके जीवन मे काबिज हो तो नित्य नयी सफलता दिलाता है। जैसे आपको कहीं नई नौकरी मिली हो और आप वहां खुद को समायोजित कर लेते है और अपना जबरदस्त परफॉर्मेंस देने लगते हैं। वहीं दूसरा वह स्टेज है जहां वह नकारात्मक रूप से आपको घेरता है और आप डिस्ट्रेस के शिकार होने लगते हैं। यह नकारात्मक तनाव आपके जीवन में उत्पादन को कम करने लगता है।

डिस्ट्रेस की पहचान

यह तनाव आपमें एक गलत धारणा बना देता है कि आप एक अनपेक्षित, अनुपयोगी व्यक्ति हैं और जो वास्तविक रूप से आपके जीवन मे नहीं है, उसपर भी आपके विश्वास को दिन-दूनी, रात-चौगुनी करता जाता है। जैसे सौरभ को उसकी मैम ने क्लास में कहा था कि वह 9वीं में फेल कर जायेगा और वह अब सोच में मान लेता है कि वह नकारा है या जरुर उस काबिल होगा। धीरे-धीरे उसका यह विश्वास गहरा हो जाता है और पढाई से उसका नाता टूट जाता है।

तनाव के कुछ लक्षण

रातो की नींद गायब, भूख-प्यास मे कमी या बेतहाशा वृद्धि, आक्रामकता, बैचौन मन, अनिश्चित व्यवहार, अपने आप को तीसमार खां समझना, बङो की इज्जत नही करना, बेबाक राय, एकपक्षीय सुनना, बात बे बात अपनी बात पर अङ़ना, अश्लील होना तथा ज्यादातर मामलों मे अपने आप के सम्मान मे घोर अनदेखी करना।

जानें कैसे बचें तनाव से

1-दैनिक जीवन में व्यर्थ की बहस न करें।
2-परिवार में किसी भी परिस्थिति मे संवाद बंद न होने दें। जरूरत हो तो काउंसलर की मदद लें।
3-बच्चो से घुले-मिलें, उनको एकटक निहारें।
4-पटना में प्रचलित एक विधि-बाल्टी में पान भर मुंह से फूकें व बबलस निकाले या खूब चिल्लाइये।
5- अपनी खुशियाँ बांटिए।
6-एकटक खूबसूरत फूलों को निहारें, उनको सूघें।
7-व्यायाम करें, घ्ूुमने जायें, बगीचे की सैर…लंबा चलें।
8-कोई भी काम बिना आकांक्षा के करें।
9-गाना सुनें, रेडियो की शरण लें, खूब खेलें लेकिन थकने से पहले चले आयें।
10-कभी भी तनाव मे निर्णय न ले और अपने व्यवहार मे लचीलापन रखें।

(लेखक पटना में मनोवैज्ञानिक चिकित्सक हैं।)

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