नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। 22 राज्यों के 200 जिलों में भू जल में फ्लोरोइड की मात्रा बढ़ गई है। ऐसा अत्यधिक भू-जल दोहन और जलवायु परिवर्तन के कारण होता है। ज्यों-ज्यों भू-जल का स्तर गिरता है, त्यों-त्यों समस्या और भी गंभीर होती जा रही है।
बिहार के दो जिलों में अभियान
रिपोर्ट के मुताबिक इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए बिहार के दो जिलों में अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत 40 हैंडपंप पर फिल्टर लगाए गए हैं। इनकी मदद से 10 हजार लोगों को पीने का पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। फिल्टर लगाने से पहले पानी में फ्लोराइड की मात्रा 10 से 12 मिलीग्राम प्रति लीटर थी पर फिल्टर लगाने के बाद यह घटकर 1.5 या इससे कम पहुंच गई है। कई जगहों पर यह मात्रा 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक हैं। इस फिल्टर को CSIR ने विकसित किया है हालांकि यह महंगा आता है।
कई रोगों का जनक फ्लोराइड
जानकारी के अनुसार भारत के 6 करोड़ लोग इस समस्या से पीड़ित हैं। सबसे ज्यादा परेशानी शारीरिक परिश्रम करने वालों को होती है क्योंकि पानी पीने की ज्यादा तलब होने से फ्लोराइड भी उनके बॉडी में ज्यादा चला जाता है। फ्लोराइड पेशाब से बाहर नहीं निकल पाता है। यही आगे उनको बीमारी की सौगात देता है। फ्लोराइड से दांत-, हड्डियांे की कमजोरी, किडनी से जुड़े रोग, न्यूरो डिसऑर्डर समेत कई रोग होते हैं।