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Lifestyle medicine : अमृतकाल में दवारहित इलाज की नई बयार

धनंजय कुमार

नयी दिल्ली। उथल पुथल एवं अरसे से स्थापित को चुनौती नए युग का धर्म है। अन्य क्षेत्रों की तरह रोगों के इलाज के क्षेत्र में भी ऐसी ही स्थिति है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसमें उत्प्रेरक का काम कर रहा है। ऐसा लग रहा है कि AI रोगों के इलाज का परिदृश्य ही बदल कर रख देगा।
पिछले महीने तमिलनाडू के वेल्लौर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कालेज (CMC, वेल्लौर) से मधुमेह, उच्च रक्तचाप सहित तमाम क्रोनिक रोगों के इलाज को लेकर जिस नई सोच का आगाज हुआ, उसने मेडिसिन के क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन का संकेत दिया है। इसमें दवाइयों के बगैर पुराने रोगों के निवारण का उनका ध्येय चकित करने वाला है। लगता है उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव अपनी जगहें बदलने की तरफ अग्रसर हो।
एलोपैथी इलाज का मक्का समझे जाने वाले CMC अस्पताल में लाइफस्टाइल मेडिसिन पर पिछले महीनेे हुए दो दिवसीय नेशनल कान्क्लेव में क्रोनिक बीमारियों के इलाज के भविष्य की जो तस्वीर सामने आई, वह युगांतकारी साबित होने वाली है। मजे की बात है CMC के इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के एलोपैथी अस्पतालों के संगठन एसोसियेशन आफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI) भी साझीदार रहा। नीति आयोग के सदस्य एवं आयुष्मान भारत की रूपरेखा में प्रमुख भूमिका निभाने वाले डॉ. वी. के. पाल मुख्य वक्ता थे। एलोपैथी डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर. वी अशोकन भी इलाज को लेकर माडर्न मेडिसिन के इस हृदय परिवर्तन के साक्षी बने।
इस सम्मेलन के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले AHPI के अध्यक्ष डॉ. एलेक्जेंडर थॉमस की सम्मेलन से ठीक पहले लिखी किताब ‘लाइफस्टाइल मेडिसिन’ भी इलाज की नई रणनीति का संकेत है। इलाज के इस नये बाइबिल में इलाज के एक नए रूप का चित्रण है। इस इवेंट के प्रचार प्रसार के लिए बने वीडियो की भाषा से इस सम्मेलन का सार मिल जाता है-क्या आप क्रोनिक बीमारियों के साथ जीते हुए थक गए हैं, क्या आप दवाइयों और बेचैनी से मुक्त जीवन की कल्पना कर रहे हैं तो यह रोगमुक्त सेहत की तरफ लौटने का समय है। आइए, CMC वेल्लौर के इस सम्मेलन में शामिल होइए, हम आपके सशक्तिकरण के जरिए आपको रोग एवं तनाव मुक्त जीवन देने में विश्वास करते हैं।
एकाएक इस प्रभावी ढंग से प्रासंगिक हुआ लाइफ स्टाइल मेडिसिन इलाज का वह विज्ञान है जिसमें किसी भी दवा की कोई जगह नहीं है. न अग्रेजी, न आयुर्वेदिक, न होमियोपैथिक, न यूनानी और न ही सिद्धा। सही जीवन शैली ही दवा है। आयुर्वैदिक जीवन शैली में भी दवा का कोई स्थान नहीं है। कहीं लाइफस्टाइल मेडिसिन ही मुख्यधारा की इलाज विधि न बन जाए। एलोपैथी में दवा के बगैर इलाज की कोई अवधारणा अब तक कहां थी। जिन डॉक्टरों पर फार्मा कंपनियों के साथ सांठगांठ का आरोप लगता रहा हो वे दवा से मुक्ति की बात करने लगें तो इस हृदय परिवर्तन पर सहज ही विश्वास नहीं होता।
दरअसल मॉडर्न मेडिसिन की सोच में यह क्रांतिकारी परिवर्तन AI की वजह से आया दिखता है। AI ने लाइफस्टाइल मेडिसिन को विज्ञान का वजूद दिया है। AI के एल्गोरिदम पर आधारित लाइफस्टाइल मेडिसिन के नतीजे को देख कर एलोपैथी बगलें झांकने लगा है। पूरी दुनिया में AI एल्गोरिद्म पर आधारित होल बाडी डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी सबसे प्रभावी साबित हो रहा है। मधुमेह, मोटापा, पीसीओडी, फैटी लीवर, हाइफरटैंशन, सोरियैशिश एवं कोलेस्ट्राल के इलाज में जो सफलता ट्विन टेक्नोलॉजी के इस प्रोग्राम को मिल रही है, वह आंख खोलने वाली है। इसकी प्रभावकता का अंदाजा इसी से लगता है कि देश के सभी जाने माने डायबेटोलाजिस्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है और इसके नतीजे से चमत्कृत हैं। ये कहते रहे हैं कि मधुमेह का दवा के जरिए मैनेजमेंट भर किया जा सकता है, इसके निवारण की बात बेमानी है।
ट्वीन हेल्थ के होल बाडी डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी ने पहले अमेरिका में और भारत में क्रोनिक रोगों के इलाज की पूरी सोच ही बदल दी है। इतने प्रमाण जमा हो गए हैं कि दवा कंपनियों की चूलें हिल रही हैं। अमेरीकन डायबिटीज एसोसियेशन, अमेरिकन हार्ट एसोसियेशन और IITM रिसर्च पार्क ने इसे वैसे मान्यता नहीं दी है। ट्विन हेल्थ प्रोग्राम ने रोगों के प्रबंधन की जगह निवारण को अंजाम देकर इलाज को पुनर्भाषित कर दिया है।

ट्विन हेल्थ के सह संस्थापक एवं इंडिया हेड एम ए मलुक मोहम्मद ने कहा कि AI के लाइफ स्टाइल प्रोग्राम ही क्रोनिक रोगों की चपेट में आई भारत की उत्पादक आबादी को उबार सकती है। होल बाडी डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी से हमने हजारों मरीजों के जीवन को रोगों के सारे लक्षणों से निजात दिला कर सेहत के उनके पुराने रूप में लौटाने में सफलता पाई है। क्रोनिक रोगों के इलाज के आगे की बस यही राह है।
भारत में होलिस्टिक इलाज के प्रणेता डॉ. रवींद्र तुली ने कहा-यह सम्मेलन निश्चत रूप से एक टर्निंग प्लाइंट है। हम तो न जाने कितने वर्षों से दवा रहित इलाज की वकालत कर रहे हैं। एआई ने उसे वैज्ञानिकता भर दिलाई है। जीवन शैली के सुधार के अलावा क्रोनिक रोगों का और कोई इलाज है ही नहीं। किसी पद्धति की दवा नहीं चाहिए। एलोपैथी की उपयोगिता है लेकिन केवल इमरजेंसी की स्थिति में। मैंने इन रोगों के इलाज में एलोपैथी की निरर्थकता को देख कर ही अपनी राह बदली।
सही भोजन लाइफस्टाइल मेडिसिन का सबसे प्रमुख पहलू है। गट हेल्थ इन रोगों के इलाज में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। गट हेल्थ की प्रबल पैरोकार एवं भोजन के जरिए रोगियों का काया कल्प करने के लिए चर्चित जानी मानी क्लिनिकल डायटिशियन ईशी खोसला कहती हैं-यह जान लीजिए कि सारे क्रोनिक रोग आहारनाल यानी गट में ही पैदा होते है और आप उन्हें गट में ही हरा सकते हैं और भोजन ही दवा है। ऐसा भोजन न करें जिससे गट में दाह पैदा हो। गेहूं गट हेल्थ की सबसे बड़ी दुश्मन है।

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