नई दिल्ली। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि गृह मंत्रालय ने निर्भया फंड के अंतर्गत 23 राज्यों- केंद्र शासित प्रदेशों में डीएनए विश्लेषण, साइबर-फोरेंसिक और संबंधित सुविधाओं को मजबूत करने के लिए परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
मसौदा विधेयक विचाराधीन
राज्यसभा में उन्होंने कहा, डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) प्रौद्योगिकी के उपयोग एवं अनुप्रयोग के विनियमन के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक‘ तैयार किया है। उन्होंने कहा, मसौदा विधेयक, जो विचाराधीन है, में डीएनए प्रोफाइल को स्टोर करने के लिए देश भर में डीएनए डेटा बैंक स्थापित करने का प्रावधान है। डीएनए प्रौद्योगिकी का उपयोग एक खास वर्ग के लोगों की पहचान करने में होता है, जिनमें पीड़ित, अपराधी, संदिग्ध, परीक्षणाधीन, लापता, और अज्ञात शव शामिल हैं।
हजारों को मिला प्रशिक्षण
केंद्रीय मंत्री ने कहा, फोरेंसिक परीक्षण में गुणवत्ता और मानकीकरण, जिसमें डीएनए आधारित फोरेंसिक से संबंधित मामले शामिल हैं, सुनिश्चित करने के लिए फोरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय (डीएफएसएस), गृह मंत्रालय ने जीव-विज्ञान एवं डीएनए डिवीजन के लिए गुणवत्ता मैनुअल तथा कार्य प्रक्रिया नियमावली और यौन हिंसा मामलों में फोरेंसिक साक्ष्यय एवं साक्ष्य संग्रह किट से संबंधित मानक घटकों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि क्षमता निर्माण के उद्देश्य से 23,233 जाँच अधिकारियों, अभियोजन अधिकारियों, और चिकित्सा अधिकारियों को यौन उत्पीड़न के मामलों में फोरेंसिक साक्ष्य एवं यौन उत्पीड़न साक्ष्य संग्रह किट में मानक घटकों के बारे में प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, चंडीगढ़ में गृह मंत्रालय द्वारा एक अत्याधुनिक डीएनए विश्लेषण प्रयोगशाला भी स्थापित की गई है।
इंडिया साइंस वायर से साभार