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अभूतपूर्व : स्वास्थ्य खर्च में सरकार की हिस्सेदारी बढ़कर 40.6 फीसद हुई

राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान (2018-19) जारी
प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च 74 फीसद बढ़ा
प्रायोजित स्वास्थ्य बीमा खर्च 167 फीसदी बढ़ा
प्रति व्यक्ति आउट ऑफ पॉकेट खर्च में 16 प्रतिशत गिरावट

अजय वर्मा

नयी दिल्ली। 2018-19 के लिए भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) अनुमान बताते हैं कि स्वास्थ्य खर्च से जुड़े कई सूचकांकों में सकारात्मक सुधार हुआ है जो दिखाई भी देता रहा हैं। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद के पॉल ने हेल्थ मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण की मौजूदगी में 2018-19 के लिए एनएचए अनुमानों को जारी करते हुए बताया कि कुल जीडीपी में सरकारी स्वास्थ्य खर्च में इजाफा हुआ है। यह आंकड़ा 2013-14 में 1.15 फीसद था जो 2018-19 में बढ़कर 1.28 फीसद हो गया है।

सरकारी स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि

उसके मुताबिक कुल स्वास्थ्य खर्च में सरकारी स्वास्थ्य खर्च भी बढ़ता गया है। 2018-19 में सरकारी खर्च की हिस्सेदारी 40.6 फीसद थी तो 2013-14 में 28.6 फीसद। यह भी पता चला है कि मौजूदा स्वास्थ्य खर्च की हिस्सेदारी में सरकार का स्वास्थ्य खर्च 2013-14 के 23.2 फीसद से बढ़कर 2018-19 में 34.5 फीसद हो गया है। इसी तरह 2013-14 के बाद से प्रति व्यक्ति सरकारी स्वास्थ्य खर्च में 74 फीसद का इजाफा हुआ है, मतलब 1042 रुपये प्रति व्यक्ति से बढ़कर 2018-19 में 1815 रुपये हो गया।

प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर फोकस

प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा खर्च 2013-14 में 51.1 फीसद था जो अब 55.2 फीसद हो गया है। यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) 2017 के सुझावों के साथ भी मेल खाता है। प्राथमिक और द्वितीयक सेवा खातों की मौजूदा सरकारी स्वास्थ्य खर्च में 80 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी है। निजी क्षेत्र के मामले में तृतीयक सेवा में इजाफा हुआ है। इस तरह आउट ऑफ पॉकेट खर्च (00PE) में 16 प्रतिशत की गिरावट आई है। अब यह 64.2 फीसद से गिरकर 48.2 फीसद रह गई है।

हेल्थ पर प्रति व्यक्ति खर्च घटा

प्रति व्यक्ति OOPE 2013-14 की तुलना में 8 फीसद कम हो गया है। पहले यह 2,366 रुपये हुआ करता था जबकि वर्तमान में 2,155 रुपये प्रति व्यक्ति है। सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के कारण कुल स्वास्थ्य खर्च 6 फीसद से बढ़कर 9.6 फीसद हो गया है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकार द्वारा वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा खर्च में भी 2013-14 से 167 फीसद का इजाफा हुआ है।

आत्मनिर्भरता बढ़ी

NHA अनुमान बताते हैं कि देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में विदेशी निवेश पर भरोसा कम हो रहा है। 2004-05 में विदेशी सहायता 2.3 फीसद थी, जो 2018-19 में घटकर 0.4 फीसद रह गई है। इससे भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदर्शित होती है।

देश के लिए गर्व की बात

इस मौके पर डॉ. वी. के. पॉल ने कहा-यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे देश में स्वास्थ्य खर्च पर योजनाबद्ध, सुदृढ़, विश्वसनीय और पारदर्शी खाते और उसकी परीक्षण प्रक्रिया है। इस तरह की रिपोर्टों से हमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के साथ बेहतर फैसले लेने में मदद मिलेगी। बता दें 2013-14 के बाद से यह लगातार 6ठी रिपोर्ट जारी की गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC) ने सुनिश्चित किया है कि ऐसी रिपोर्ट बिना किसी हस्तक्षेप के प्रकाशित हों और उनमें कड़ी अकादमिक मेहनत हो। चूंकि इन रिपोर्टों का इस्तेमाल शोधार्थी, नीति-निर्माता और कार्यक्रमों को लागू करवाने वाले लोग करते हैं, इसलिए इन्हें बेहतर तरीके से बनाया जाना जरूरी है।

सरकार का इरादा-लोगों का कम खर्च हो

डॉ. पॉल ने कहा कि पिछले कुछ सालों से सरकार ने ऐसी नीतियां बनायी हैं कि आम नागरिकों की जेब से स्वास्थ्य पर कम से कम खर्च हो क्योंकि यह खर्च लोगों को गरीबी की ओर ढकेलता है। रिपोर्ट में भारत और दूसरे देशों में प्रति व्यक्ति OOPE की तुलना को भी दर्शाया गया है, इसके लिए WHO द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले वैश्विक स्वास्थ्य खर्च डेटाबेस का इस्तेमाल किया गया है। 189 देशों में भारत OOPE के मामले में 66वें स्थान पर है।

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