नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। होमियोपैथी वह चिकित्सा पद्धति है जिसमें किडनी, यूरेरिक स्टोन्स आदि रोग में सर्जरी की आवष्यकता को कम करती है। यह बात होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया, दिल्ली स्टेट और एसएचएमसी एलुमनी के स्टोन्स पर एक विचार गोष्ठी में उभरकर सामने आयी। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट का इस आयोजन में सहयोग था। इस मीट में डॉ परेश जैन, निदेशक यूरोलॉजी ने एक बहुत ही आकर्षक दिलचस्प इंटरैक्टिव वैज्ञानिक सत्र साझा किया। डॉ ए के गुप्ता, अध्यक्ष एचएमएआई दिल्ली राज्य ने कहा कि हम उन सभी को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने स्टोन डिजीज पर फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, ओखला के सहयोग से इस सीएमई में भाग लिया।
ओपन हाउस चर्चा
इसके बाद होम्योपैथी के प्रसिद्ध डॉक्टरों की मौजूदगी में एक व्यापक और समृद्ध ओपन हाउस चर्चा हुई। यह एक बहुत ही संवादात्मक और पूरी तरह से व्यावहारिक रूप से उपयोगी सत्र था जहां विद्वान डॉक्टरों ने स्टोन रोगों, विशेष रूप से गुर्दे की पथरी की रोकथाम, उपचार और प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं को सीखा और साझा किया। अध्यक्ष डॉ. ए.के. गुप्ता और महासचिव, एचएमएआई, दिल्ली राज्य शाखा के डॉ. सौरव अरोड़ा ने इस विषय के होम्योपैथिक पहलू को विभिन्न इनपुट और श्रोताओं से साझा करने के अनुभव के साथ संभाला। डॉ. संदीप कैला और डॉ. मयूर जैन ने भी बहुमूल्य जानकारी और अनुभव सामने रखे।
अच्छे सेहत की जानकारी
इस गोष्ठी में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई-
1. मरीज को कितना पानी पीना चाहिए।
-पानी के सेवन की आवृत्ति सिर्फ मात्रा से ज्यादा महत्वपूर्ण है। आदर्श रूप से एक दिन में शरीर के वजन के हिसाब से 40-45 मिली प्रति किलो पानी लेना चाहिए।
2. ऑक्सालेट्स और जीवनशैली से भरपूर आहार पथरी के निर्माण और उनके उपचार में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। इसलिए इन पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है।
2. पथरी के रूढ़िवादी और शल्य चिकित्सा उपचार के बीच एक रेखा खींचना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
और भी आयोजन होंगे
कुल मिलाकर एक अद्भुत सत्र जहां पत्थर रोगों के रोगियों के लिए सर्वोत्तम संभव उपचार के लिए आधुनिक चिकित्सा के साथ होम्योपैथी का एकीकरण था। अध्यक्ष डॉ. ए.के.गुप्ता ने कहा कि एचएमएआई, दिल्ली भविष्य में ऐसे और आयोजन करेगा। इसमें उपस्थित डॉक्टर्स को सर्टिफिकेट भी प्रदान किए गए।
डॉक्टरों ने साझा किये अनुभव
यह वास्तव में एक बहुत अच्छा संवादात्मक सत्र था। डॉ परेश जैन की स्पष्टता की सबने सराहना की। उन्होंने मूत्रविज्ञान में विशेष रूप से स्टोन रोग से संबंधित अपने विशाल अनुभव को साझा किया। सर्जन होने के बावजूद उनके स्टोन रोगों के उपचार में होम्योपैथी की भूमिका के बारे रूढ़िवादी उपचार दृष्टिकोण का सभी डॉक्टरों ने स्वागत और सराहना की और रोगियों की बेहतरी के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण के लिए जाने के अवसर को प्रोत्साहित किया।