नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। रात में एक निर्धारित समय पर नींद आने लगती है और बिस्तर पर जाते ही गहरी नींद लग जाती है। फिर अगली सुबह पौ फटते ही नींद टूटने लगती है भले ही देर तक सोते रह जायें। दिन में नींद आयेगी भी तो रात जैसी गहरी नहीं। क्या कभी सोचा है कि समय पर नींद और समय पर जाग जाना कैसे संभव है? दरअसल सोने-जागने का चक्र साधारण भाषा में शरीर की आंतरिक ( जैविक) घड़ी से संभव होता है। इस घड़ी को वैज्ञानिक शब्दावली में सर्कैडियन रिद्म (Circadian rhythm) कहते हैं। इसमें होने वाली समस्याओं के कारण शरीर की गतिविधि बाधित हो सकती है।
क्यों जरूरी है Circadian rhythm ?
Circadian rhythm सिर्फ नींद के समय को नियंत्रित करने के लिए ही नहीं, बल्कि शरीर के अन्य कार्यों जैसे हार्माेन्स-मेटाबॉलिज्म से लेकर स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए भी आवश्यक होती है। अध्ययनों में पाया गया है कि सर्कैडियन रिद्म की समस्याओं के कारण मूड और मस्तिष्क संबंधी विकारों का खतरा हो सकता है। यह कई जीनों द्वारा नियंत्रित होता है। यह जागने का समय, तापमान, मेटाबॉलिज्म, पाचन और भूख को नियंत्रित करने के लिए भी आवश्यक है। यह वातावरण में परिवर्तनों पर प्रतिक्रिया करके सतर्कता और नींद के चक्र को नियंत्रित करती है। जब तक बाहर धूप होती है, हम सक्रिय अवस्था में रहते हैं पर रात होते ही यह मस्तिष्क को मेलाटोनिन हार्माेन के उत्पादन का संकेत भेजती है, जिससे हमें अच्छी नींद लेने में मदद मिलती है। अगर इनमें कोई समस्या आ जाए तो इसका पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव हो सकता है।
अनियमित रिद्म तो होगी समस्या
अनियमित Circadian rhythm किसी व्यक्ति के सोने और ठीक से काम करने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। कई स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जिनमें अवसाद-चिंता, बाइपोलर डिसऑर्डर और कई प्रकार के भावात्मक और मूड विकार शामिल हैं। अध्ययन से पता चला है कि रात के समय अधिक सक्रिय रहने वाले लोगों में मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य समस्याओं की आशंका अधिक हो सकती है। यह अवसाद से संबंधित जोखिमों को बढ़ाने वाली स्थिति भी है।
शारीरिक स्वास्थ्य पर इसका असर
मानसिक स्वास्थ्य के अलावा ब्लड प्रेशर भी इसका पालन करता है। यही कारण है कि सुबह उठने पर यह बढ़ता है और रात को सोते समय कम हो जाता है। सरकैडियन रिद्म के कारण मेटाबॉलिज्म पर भी असर हो सकता है, जिससे वजन बढ़ने, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा भी अधिक रहता है।
कैसे रखें इसे ठीक
इसमें सुधार के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके लिए सोने का सही शेड्यूल बनाना चाहिए। यानी हर रात एक ही समय पर सोने की आदत डालनी होगी। सोने के वक्त कमर में अंधेरा और शांति हो। व्यायाम करनी चाहिए और कैफीन-शराब के अधिक सेवन से बचना चाहिए। इन उपायों से सर्कैडियन रिद्म ठीक रह सकेगा।