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WHO ने खोली भारत के स्वच्छता अभियान की पोल

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। WHO और यूनिसेफ ने भारत के स्वच्छता अभियान की पोल खोल दी है। केद्र सरकार ने 2019 में ही भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया था लेकिन इन दोनों संस्थाओं की रिपोर्ट कुछ और ही कहती है। इन्होंने हाल ही में पानी की सप्लाई और स्वच्छता पर अपनी ताजा रिपोर्ट इस बारे में अलग-अलग देशों के कार्यकलापों के बारे में लिखा है।

ग्रामीण भारत में 17 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में ग्रामीण भारत में 17 प्रतिशत लोग अभी भी खुले में शौच कर रहे थे। भारत की कुल आबादी करीब 1.40 अरब है, जिसमें करीब 65 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। यानी कम से कम 15 करोड़ लोग आज भी खुले में शौच करते हैं। रिपोर्ट ने यह भी दावा किया है कि ग्रामीण भारत में करीब 25 प्रतिशत परिवारों के पास अपना अलग शौचालय भी नहीं है। यह भी ODF घोषित किये जाने के मुख्य लक्ष्यों में से था।

एक साल में पांच फीसद प्रगति

जुलाई 2021 में इन दोनों संस्थाओं ने कहा था कि तब ग्रामीण भारत में खुले में शौच करने वालों की संख्या 22 प्रतिशत थी। यानी एक साल में समस्या पांच प्रतिशत और कम हुई है। 2015 में यह संख्या 41 प्रतिशत थी। रिपोर्ट यह तो दिखा रही है कि भारत ने खुले में शौच से लड़ाई में लगातार तरक्की हासिल की है लेकिन साथ ही रिपोर्ट ने पूरी तरह खुले में शौच से मुक्ति के सरकार के दावों पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

ODF की परिभाषा भी विवादों में

भारत सरकार के ODF लक्ष्यों, परिभाषा और दावों को लेकर शुरू से विवाद रहा है। सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत ODF की परिभाषा है-खुले में मल नजर ना आना और हर घर और सार्वजनिक संस्थान द्वारा मल के निस्तारण के लिए सुरक्षित तकनीकी विकल्पों का इस्तेमाल। 2019-20 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के पांचवें दौर के मुताबिक उस समय देश में कम से कम 19 प्रतिशत परिवार खुले में शौच कर रहे थे। बिहार, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में तो यह संख्या 62, 70 और 71 प्रतिशत तक थी।

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