अजय वर्मा
नयी दिल्ली। हर क्षेत्र में तकनीक नये आयाम खोलती है और जीवन को सरल बनाती है। मेडिकल का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। तकीनीक का जिस नये आयाम की संभावना बन रही है, उससे भविष्य में CT-SCAN या MRI की जरूरत भी खत्म हो जायेगी क्योंकि रोग की पहचान सिर्फ आंख से ही हो जायेगी।
हेल्थकेयर में नयी पहल
यही सच होने जा रहा है सर्च इंजन गूगल के प्रयास से। वह अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी की AI के जरिए मेडिकल और हेल्थकेयर सेक्टर में नई क्रांति लाने जा रहा है। गूगल AI के जरिए इंसानों के अंदर बीमारियों की पहचान को आंखों से पता लगाने की तकनीक पर काम कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गूगल एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिसके जरिए AI आंखों को स्कैन करके हार्ट संबंधी बीमारियों का पता लगा सकेगा। अगर ऐसा होता है तो इंसान के शरीर में पल रही बीमारियों का कम समय में सटीक पता चल सकेगा। साथ ही, बीमारियों का इलाज भी सही समय पर संभव होगा, जिससे मरीज की जान बच सकेगी।
रेटिना के स्कैन से ही सब कुछ संभव
गूगल के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर सुंदर पिचाई का कहना है कि भविष्य में गूगल AI के डीप एनालाइजेशन का इस्तेमाल करेगा, जिसके जरिए आंखों के रेटीना को स्कैन करके इंसान के अंदर पल रही बीमारियों का पता चल सकेगा। उनका कहना है कि इसके लिए किसी तरह के ब्लड, यूरिन या अन्य किसी तरह के सैंपल लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अरविंद आई हॉस्पिटल के साथ हो रहा काम
इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए गूगल ने भारत के मशहूर आई केयर चेन अरविंद आई हॉस्पिटल से हाथ मिलाया है। दोनों संस्थान मिलकर AI के जरिए डायबेटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने पर काम कर रहे हैं। बता दें कि डायबिटीज से ग्रसित मरीज की आंखें कमजोर हो जाती है। कुछ मामलों में मरीज की आंखों की रोशनी भी चली जाती है। डायबिटीज के कारण आंखों को पहुंचने वाले नुकसान को मेडिकल की भाषा में डायबेटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। इसका पता लगाने के लिए गूगल ने एक अल्गोरिद्म डेवलप किया है। इससे पहले साल की शुरुआत में गूगल पहले ही एक एल्गोरिदम पेश कर चुका है, जो किसी व्यक्ति के लिंग, धूम्रपान की स्थिति की पहचान करने और दिल के दौरे के पांच साल के जोखिम की भविष्यवाणी करने में सक्षम है। यह सब रेटिना इमेजरी पर आधारित है।
गूगल लेंस से स्किन की बीमारी का पता चलेगा
गूगल द्वारा मेडिकल क्षेत्र में आंखों के जरिए बीमारियों का पता लगाने का काम अगर पूरा हो जाता है, तो भविष्य में बीमारियों का पता लगाने के लिए X-RAY, MRI और CT-SCAN जैसे पारंपरिक मेडिकल टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी। हार्ट प्रॉब्लम के अलावा गूगल पहले ही AI की मदद से स्किन संबंधी बीमारियों का पता लगाने पर काम कर चुका है। गगूल द्वारा जारी किए गए ब्लॉग में कहा गया है कि लेंस सिस्टम के जरिए आप रैश या तिल को स्कैन करके स्किन की बीमारी का पता लगा सकते हैं। इसके लिए आप बस रैश और तिल की फोटो को क्लिक करके गूगल लेंस पर अपलोड करना। थोड़ी ही देर बाद इसका रिजल्ट सामने आ जाएगा।