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नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। राष्ट्रीय महत्व के संस्थान नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला, रोहिणी, दिल्ली के सहयोग से अपने कैंपस में 26 से 28 जून तक नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी और कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें विधि विज्ञान प्रयोगशाला, दिल्ली के परिसर में फील्ड परीक्षण सहित विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके NDPS मामले की जांच का प्रदर्शन किया गया। इसमें प्रतिनिधि और फोरेंसिक विशेषज्ञ इस क्षेत्र में तकनीकी उन्नयन, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तथा विचारों को साझा करके अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए उपस्थित हुए। इसका उद्घाटन पद्मश्री डॉ. जे. एम.व्यास जी ने किया। उद्घाटन सत्र को कैंपस निदेशक पूर्वी पोखरियाल और एफएसएल निदेशक दीपा वर्मा ने संबोधित किया।

अपराध रोकने में फोरेंसिक रिपोर्ट महती साक्ष्य

कार्यशाला के दूसरे दिन 27 जून को अभ्यास सत्र में NDPS केस परीक्षा की विभिन्न प्रकार की तकनीकों के प्रदर्शन के लिए एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। इसके दौरान बताया गया कि फोरेंसिक रिपोर्ट ऐसे अपराधों को रोकने और नियंत्रित करने में बहुत महत्वपूर्ण साक्ष्य है। ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) साक्ष्य-आधारित प्रथाओं पर दवा नीतियों के लिए जन-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने के महत्व को समझता है। इस जागरूकता हेतु तथा इसके विषयगत महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा करने के लिए, सामाजिक और कानून प्रवर्तन पदाधिकारियों के सभी महत्वपूर्ण स्तंभों, जिनमें पुलिस अधिकारी, न्यायिक अधिकारी, फोरेंसिक विशेषज्ञ, कानून निर्माता, अर्धसैनिक बल आदि के लिए इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया। इस सेमिनार का उद्देश्य भी लोगों विशेषज्ञों के बीच संवेदना एवं जागरूकता पैदा करना है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग वैश्विक चुनौती

निदेशक FSL, दीपा वर्मा ने कहा कि सेमिनार की आवश्यकता इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक वैश्विक सार्वजनिक चुनौती के रूप में उभरा है जो स्वास्थ्य (शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य संकट), सामाजिक स्थिरता के निहितार्थ, जनता के लिए खतरा, राष्ट्रीय प्रतिभूतियों और इसके प्रति झुकाव को प्रभावित कर रहा है। अपराध के कारण हर आयु वर्ग के व्यक्ति की शैक्षिक योग्यता, सामाजिक स्थिति, वित्तीय स्थिति नशीली दवाओं के दुरुपयोग से बुरी तरह प्रभावित होती है। उन्होंने यह भी बताया कि फोरेंसिक परीक्षण न केवल NDPS केस में महत्वपूर्ण है, बल्कि अवैध तस्करी जैसे साइबर डेटा निष्कर्षण, रासायनिक परीक्षण, प्रश्नगत दस्तावेज़ के माध्यम से धमकी भरे संदेश, ध्वनि संदेश, अपराध स्थल/स्पॉट परीक्षा आदि में भी बहुत उपयोगी है। उन्होंने बताया कि समय-समय पर इस तरह की संगोष्ठी तथा कार्यशाला पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों, फोरेंसिक विशेषज्ञों के लिए बहुत उपयोगी है। उम्मीद है कि यह जागरूकता और जानकारी आपराधिक मुकदमे और न्याय वितरण प्रणाली में बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।

प्रतिभागियों को मिली नवीन जानकारियां

प्रतिभागियों ने सभी सत्रों में रुचि दिखाई और वे इस विषय के बारे में जानने के लिए गंभीर प्रश्न किए, जिसका विशेषज्ञों द्वारा समुचित उत्तर दिया गया जो NDPS मामले की जांच और अवैध तस्करी से संबंधित मामलों से निपटने के लिए उनके दैनिक कामकाज में उपयोगी होगा। क्राइम सीन के डिवीजन प्रमुख संजीव कुमार गुप्ता ने कहा कि NDPS मामलों की फोरेंसिक जांच की मूल बातें सीखने के लिए विभिन्न एजेंसियों के देशों और संस्थानों के लोग कार्यशाला में आए। प्रतिभागियों ने इस प्रयोगशाला का दौरा किया जिससे उन्हें उच्च तकनीक तथा वैज्ञानिक विधियों की अद्यतन जानकारी मिली जिससे निश्चित तौर पर भविष्य मे NDPS मामलों के फोरेंसिक जांच में मदद मिलेगी। प्रयोगशाला के सहायक जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि यह संगोष्ठी नशीली दवाओं के दुरुपयोग एवं दुष्प्रभाव के बारे में बताने, अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ने के लिए तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यानाकर्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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