नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। औषधि एवं प्रसाधन नियम, 1945 की अनुसूची एम में बदलाव की अधिसूचना जल्द जारी हो सकती है। इससे भारत की दवा कंपनियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय किए गए बेहतरीन विनिर्माण गतिविधि (GMP) अपनाने में मदद मिलेगी। यह जानकारी देते हुए औषधि महानियंत्रक (DCGI) राजीव सिंह रघुवंशी ने कहा कि संशोधित शेड्यूल M से उद्योग को वैश्विक मानकों के तहत लाने में मदद मिलेगी। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब WHO ने भारत की कुछ फर्मों द्वारा निर्यातित कफ सिरप को लेकर चिंता जताई है, जिनके इस्तेमाल से बच्चों की मौत के आरोप लगे थे। पिछले महीने सूक्ष्म, लघु एवं मझोली कंपनियों सहित सभी दवा कंपनियों के लिए GMP के मुताबिक संशोधित शेड्यूल M अनिवार्य कर दिया गया है।
सुरक्षा मानक होंगे मजबूत
जानकारी के अनुसार जिन विनिर्माताओं का सालाना कारोबार 250 करोड़ से कम है उन्हें अपने सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया 12 महीने के भीतर पूरी करनी होगी। वहीं जिनका कारोबार 250 करोड़ से ज्यादा है, उन्हें ऐसा करने के लिए 6 महीने का वक्त दिया गया है। मसौदा नियम में गुणवत्ता नियंत्रण व्यवस्था और दवाओं की सुरक्षा के मानक मजबूत करने का प्रावधान शामिल है। इन बदलावों की जानकारी देने और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने मुंबई में एक दिन की कार्यशाला का आयोजन किया है।
मूल्यांकन की प्रक्रिया सख्त
CDSCO के संयुक्त औषधि नियंत्रक ईश्वर रेड्डी ने कहा कि मौजूदा नियम के मुताबिक विनिर्माताओं को अपने विनिर्माण प्रक्रिया में बड़े बदलाव करने पर सीडीएससीओ को अधिसूचित करना होता है। नए मसौदा नियम में विनिर्माताओं को छोटे, बड़े और क्रिटिकल सभी बदलावों को वर्गीकृत करना होगा और हर तरह के बदलाव के लिए उचित नियंत्रण लागू होगा। विनिर्माण प्रक्रिया में कोई भी बदलाव होने पर उसका मूल्यांकन हो सकेगा।