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साक्षात्कार / Interview

भारत का गगनयान मिशन 2024 मेंः इसरो प्रमुख

भारत अंतरिक्ष में अपना पहला मानव मिशन गगनयान-3 अगले साल 2024 में लॉन्च कर सकता है। इसे लेकर हर स्तर पर बारीकी से परीक्षण किए जा रहे हैं। एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा की दृष्टि से इसरो पहले मानव रहित तरीके से गगनयान की लॉन्चिंग होगी। यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने विशेष साक्षात्कार में कही है। वे भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF)-2022 के समापन सत्र में शामिल होने के लिए भोपाल पहुँचे थे। इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ से हितेश कुशवाहाराहुल राहुल चौकसे की विशेष बातचीत के प्रमुख अंश यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

प्रश्न : भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में छात्रों एवं प्रतिभागियों का उत्साह देखकर कैसा लग रहा है?
उत्तर : सब मुझे उत्साह से लबरेज नजर आए। युवाओं की जबरदस्त सहभागिता दिखी है। इस आयोजन में अभूतपूर्व प्रतिसाद देखने को मिला।

प्रश्न : केंद्र सरकार ने हाल ही में स्पेस सेक्टर को निजी क्षेत्र के लिए खोला है। इसरो के नजरिये से भविष्य में इसके क्या लाभ होंगे?
उत्तर : सरकार ने दो साल पहले स्पेस सेक्टर रिफॉम्र्स-2020 जारी किया था। यह इसका तीसरा साल है। हमने बहुत से काम किए हैं। पहला, हमने ‘इन-स्पेस‘ का गठन किया, जो अधिकृत करने, बढ़ावा देने व सहयोग देने वाली एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है। इसकी मदद से स्पेस सेक्टर में 100 से अधिक स्टार्टअप और कम्पनियों को मदद मिली है। दूसरा, हमने न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) पब्लिक सेक्टर यूनिट बनायी है, जो मांग के अनुरूप काम करेगी। तीसरा, इसरो स्टार्टअप्स को भी मदद कर रहा है ताकि वो आगे आ सकें।

प्रश्न : चंद्रमा पर भारत का पहला मानव मिशन गगनयान-3 कब तक लॉन्च होगा। आप इसरो की इस उपलब्धि को किस ऊंचाई पर देखते हैं?
उत्तर : चन्द्रमा की यात्रा पर हम एक बार चन्द्रयान मिशन-2 में जा चुके हैं। बस वहां लैंडिंग नहीं हो सकी थी। ओरबिटर वहाँ है और उससे काफी वैज्ञानिक शोध हो रहे हैं। चन्द्रयान-3 को हम जून 2023 में लान्च कर रहे हैं। उसके बाद गगनयान अभियान शुरू होगा। हमारा 2024 का लक्ष्य है। हम काफी परीक्षण कर रहे हैं। एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत जरूरी है। इसके बाद हम मानव रहित तरीके से टेस्टिंग के बारे में सोच सकते हैं। हमारे साइंटिस्ट की जान को खतरा नहीं होना चाहिए।

प्रश्न : मंगल मिशन के बाद गगनयान-3 मिशन सबसे कम खर्च में होने जा रहा है। यह उपलब्धि हमने कैसे हासिल की है?
उत्तर : हमारा अप्रोच अलग है इसीलिए, यह किफायती है। हम बारीकी से विश्लेषण करते हैं। हम निर्माण लागत पर गहनता से अध्ययन करते हैं। हार्डवेयर निर्माण कैसे होगा, उन्हें रीसाइकिल कैसे किया जा सकता है। हम लागत को कम रखने के लिए निरंतर नवोन्मेषी प्रयास करते रहते हैं। यह हमारी खासियत है।

प्रश्न : स्कूली स्तर पर 10वीं और 12वीं के बच्चों के मन में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति काफी जिज्ञासा होती है। क्या इसरो के कार्यों और अंतरिक्ष से जुड़े विषय को सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए?
उत्तर : बिल्कुल, पाठ्यक्रम में शामिल कर सकते हैं। UGC सहित हम अन्य मान्य संस्थाओं के साथ चर्चा में हैं। स्पेस कोर्स हम IIT में शुरु करा रहे हैं। स्कूल में भी हम पांचवीं और सातवीं कक्षा के विषयों में इसे जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

इंडिया साइंस वायर से साभार

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