नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। हेल्थ इंश्योरेंस रखने वाले लोग अब इलाज के लिए भटकेंगे नहीं। बीमा होल्डर कहीं और किसी भी हॉस्पिटल में कैशलेस इलाज का लाभ ले सकते हैं भले ही उनकी कंपनी के पैनल में उक्त हॉस्पिटल शामिल न हो। जीआईसी ने इस बाबत निर्देश दिए हैं। Cashless anywhere की यह व्यवस्था लागू हो गयी है।
पहले की व्यवस्था में बदलाव
पहले होता यह रहा है कि इंश्योरेंस होने के बाद भी हॉस्पिटल में भर्ती होने पर कैशलेस इलाज नहीं हो पाता अगर वह कंपनी के पैनल में नहीं होती। तब मरीज को बिल चुकाकर अपनी कंपनी से खर्च वसूलना होता था। हर इंश्योरेंस कंपनी के पास अलग-अलग हॉस्पिटल्स के साथ अलग-अलग ट्रीटमेंट रेट और पैकेज हैं। भारत में अभी सिर्फ 53 फीसद मरीजों को कैशलेस इलाज का लाभ मिल रहा है। यह व्यवस्था तब तक जारी रहेगी, जब तक कि हॉस्पिटल का कॉमन पैनल लागू नहीं हो जाता। कॉमन पैनल से कंप्लीट कैशलेस क्लेम संभव हो सकेगा।
मिलेंगी बड़ी सुविधा
जूनो जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ शनाई घोष के मुताबिक अब हर इंश्योरेंस कंपनी के ग्राहक के पास सिंगल सेंट्रलाइज्ड नेटवर्क तक पहुंच होगी। ग्राहकों को एक इंटीग्रेटेड सेंट्रलाइज्ड कैशलेस हॉस्पिटल नेटवर्क मिलेगा। अगर ग्राहकों के पास कोई भी इंश्योरेंस होगा, तो उनकी सभी कैशलेस हॉस्पिटल्स तक पहुंच होगी।
सरल भाषा में हो बुनियादी जानकारी
हाल ही इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा (IRDA) ने इंश्योरेंस कंपनियों को निर्देष दिया था कि कंपनियों को बीमित राशि, पॉलिसी में कवर किए गए खर्च, दावा आदि बुनियादी जानकारियां सरल भाषा में पॉलिसीधारक को उपलब्ध करानी होगी। अथॉरिटी ने कहा कि पॉलिसीधारक के लिए खरीदी गई पॉलिसी के नियम एवं शर्तों को समझना महत्वपूर्ण है। पॉलिसी दस्तावेज कानूनी उलझनों से भरपूर हो सकता है, लिहाजा यह ऐसा दस्तावेज होना चाहिए जो पॉलिसी के संबंध में हर चीज सरल शब्दों में समझाता हो।