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आयुष को आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़ने के सुखद नतीजे मिले : वैद्य कोटेचा

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। मिक्सोपैथी पर लगातार चल रही बहस के बीच आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुष को आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकृत करने से महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए हैं। आयुष आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसी छह भारतीय चिकित्सा प्रणालियों का संक्षिप्त रूप है। उन्होंने कहा कि ऐसी कई स्टडी हैं जहां यह बात प्रमाणित हुई है।

अभी पूरक चिकित्सा जैसा रूप

एक समाचार चैनल से बातचीत में मिक्सोपैथी पर विवाद का जिक्र करते हुए कोटेचा ने कहा कि यह सच है कि आधुनिक चिकित्सा दवा के मिश्रण या मिक्सोपैथी का विरोध करती है। आयुष मंत्रालय भी मिक्सोपैथी प्रथा का पालन नहीं कर रहा है। आयुष में, कभी-कभी, हम आधुनिक चिकित्सा के साथ सहायक या पूरक चिकित्सा के रूप में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि आयुष पद्धतियां आधुनिक चिकित्सा की पूरक हो सकती हैं। चिकित्सा की एक अलग प्रणाली के रूप में बहुत अच्छी तरह से कार्य कर सकती हैं। उदाहरण के लिए होम्योपैथी को कोविड-19 के दौरान आधुनिक चिकित्सा के साथ सहायक के रूप में इस्तेमाल किया गया, जिसके आशाजनक परिणाम सामने आए।

कम दुष्प्रभावों के साथ सुरक्षित भी

उन्होंने कहा कि योग और ध्यान को तनाव के प्रबंधन और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने में उनके संभावित लाभों के लिए पहचाना जाता है, जिसे पहले से ही आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल के सहायक उपचारों के रूप में जोड़ा जाता रहा है। कोटेचा ने कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रथाओं में गहराई से निहित है, जो इसे देश की विरासत का एक अभिन्न अंग बनाता है। अक्सर प्राकृतिक उपचार, जड़ी-बूटियों और जीवनशैली में संशोधन पर भी निर्भर करता है, जिन्हें आमतौर पर सिंथेटिक दवाओं की तुलना में कम दुष्प्रभावों के साथ सुरक्षित माना जाता है।

आयुष की क्षमता का प्रदर्शन हो

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि स्वास्थ्य संकेतकों को बेहतर बनाने में आयुष प्रणालियों की क्षमता को प्रदर्शित किया जाए। समकालीन स्वास्थ्य विज्ञान और आयुष प्रणालियों के उत्कृष्ट चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के एक महत्वपूर्ण समूह के विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारत में आयुष पद्धतियों और अनुसंधान के लिए प्रतिबद्ध संस्थान और विशेषज्ञ हैं। समुदाय में आयुष का उपयोग एक गतिशील घटना है जिस पर निरंतर शोध की आवश्यकता है।

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