पटना (स्वस्थ भारत मीडिया)। घटिया इलाज की लगातार शिकायतों के बाद पटना के पारस हॉस्पीटल के खिलाफ केंद्र सरकार की बड़ी कार्रवाई हुई है। 6 महीने के लिए CGHS का उसका इम्पैनलमेंट रद्द कर दिया है। भारत सरकार की योजनाओं के लाभार्थी अब वहां नहीं जा सकेंगे। सरकार ने कहा है कि जो भर्ती हैं, उन्हें सात दिनों तक इलाज देने के बाद डिस्चार्ज करना होगा।
लापरवाही की कई शिकायतें
CGHS के ऐडिशनल डायरेक्टर के पत्र के मुताबिक पारस अस्पताल के खि़लाफ़ कई गंभीर और लापरवाही की शिकायतें मिली हैं। राज्य की स्वास्थ्य एजेंसी अस्पताल को चिह्नित कर इम्पैनल करती है। केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (SGHS) के नेटवर्क के साथ जोड़ती है। इसके बाद सरकारी स्कीमों के तहत रजिस्टर्ड लाभार्थी उस अस्पताल से मेडिकल सेवाएं ले सकते हैं। पिछले साल एक रिटायर्ड आईएएस ने भी इस अस्पताल की गंभीर शिकायत की थी। आरोप लगाया था कि बिना मंजूरी के यहां दवाओं का परीक्षण किया जाता है। पटनावासी इसे पांच सितारा बूचड़खाना भी कहते है।
दो साल तक पैनल में वापसी असंभव
रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी अस्पताल को पैनल में आने के लिए बुनियादी ढांचे, सुविधाओं और मेडिकल केयर की गुणवत्ता के मानकों से गुज़रना होता है। इसके बाद अस्पताल सरकारी स्कीमें लागू कर देता है। पैनल से बाहर किया गया अस्पताल हटने के बाद कम से कम दो साल तक पैनल में शामिल नहीं हो सकता और न आवेदन दे सकता है।