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डायरिया से बच्चों की मौत रोकना बहुत जरूरी

अजय वर्मा

नयी दिल्ली। हर साल 13 फीसद मौत के जिम्मेवार रोग डायरिया की समस्या का समधान जल जीवन मिशन साबित हो सकता है। इसके लिए इस योजना सेे पूरे देश को आच्छाादित करना होगा। यह सलाह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की है और उसके म1ताबिक इस रोग के कारण होने वाली मृत्युदर को कम करने के लिए दूरगामी प्रयास बहुत आवश्यक हैं।

3-4 लाख बच्चों की हर साल मौत

WHO कहता है कि दरअसल पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया, मौत का तीसरा सबसे आम कारण है। यह इस आयु वर्ग में हर साल 13 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है। भारत में हर साल अनुमानित तीन-चार लाख बच्चों की डायरिया से मौत हो जाती है। उसकी राय में सभी ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के अपने लक्ष्य को अगर सकार पूरा कर लेती है तो डायरिया से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को टाला जा सकता है। डायरिया आमतौर पर आंतों के मार्ग में होने वाले संक्रमण का एक लक्षण है, जो विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी के कारण हो सकता है। इसका संक्रमण दूषित भोजन या पीने के पानी से या फिर स्वच्छता की कमी के परिणामस्वरूप एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। बच्चों के अलावा वयस्कों और बुजुर्गों के लिए भी इसे काफी खतरनाक माना जाता रहा है।

जल जीवन मिशन

देश के सभी घरों में स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध हो सके, इसी लक्ष्य से भारत सरकार ने 2019 में जल जीवन मिशन (JJM) लॉन्च किया था। इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम का उद्देश्य नल कनेक्शन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों को सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की सिफारिश पर WHO द्वारा किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि यदि जल जीवन मिशन योजना को सही तरीके से लागू करने में सफलता पा ली जाए तो न सिर्फ लोगों के पेयजल की समस्या कम होगी साथ ही हर साल करीब चार लाख लोगों के मृत्यु के जोखिम को भी कम किया जा सकेगा।

66.6 मिलियन घंटे हर दिन बचेगा समय

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस कार्यक्रम के तहत 62 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को नल से स्वच्छ जल का कनेक्शन प्रदान किया जा चुका है। अध्ययन में कहा गया है कि पूरे भारत में अगर सभी लोगों को स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध करा दिया जाता है न सिर्फ यह डायरिया और दूषित जल के कारण होने वाली अन्य बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है। साथ ही जल संग्रह (66.6 मिलियन घंटे प्रत्येक दिन) में व्यतीत होने वाले समय की भी बचत हो सकेगी।

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