स्वस्थ भारत मीडिया
समाचार / News

हर्बल उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उन्नत होगी प्रयोगशाला

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। WHO दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र (WHO-SEARO) के सहयोग से आयुष मंत्रालय के भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी फार्माकोपिया आयोग (PCIMH) ने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में पारंपरिक व हर्बल उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए प्रयोगशाला क्षमता को उन्नत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। पहली बार तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

9 देशों के प्रतिभागी शामिल

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 9 देशों (भूटान, इंडोनेशिया, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, मालदीव, तिमोर लेस्ते और बांग्लादेश) के कुल 23 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण का उद्देश्य पारंपरिक व हर्बल उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रयोगशाला आधारित तकनीकों और विधियों के लिए कौशल प्रदान करना है। इस अवसर पर, आयुष मंत्रालय के विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक ने कहा-बढ़ते बाजार के साथ मिलावट के कारण हर्बल सामग्री की गुणवत्ता के मुद्दे भी तेजी से चिंताजनक होते जा रहे हैं। ऐसे में लैब-आधारित गुणवत्ता नियंत्रण बहुत जरूरी है।

मंत्रालय के सहयोग से प्रशिक्षण

WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय सलाहकार-पारंपरिक चिकित्सा डॉ. किम सुंगचोल ने कहा-इन क्षेत्रीय कार्यशालाओं के दौरान सदस्य देशों द्वारा की गई प्रमुख सिफारिशों में से एक नियामक क्षमता सुनिश्चित करना था और यही कारण है कि हम आयुष मंत्रालय के PCIMH के सहयोग से इस पहले प्रशिक्षण सत्र का आयोजन कर रहे हैं।

गुणवत्ता की चुनौती

गुणवत्ता नियंत्रण के उपायों में कच्ची हर्बल सामग्री, अच्छी प्रथाओं ( खेती, संग्रह, भंडारण, निर्माण, प्रयोगशाला और नैदानिक) के मानक शामिल हैं। विनिर्माण, आयात, निर्यात और विपणन के लिए विशिष्ट और समान लाइसेंसिंग योजनाओं को लागू किया जाना चाहिए जो सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। बढ़ते बाजार से हर्बल दवाओं की उचित गुणवत्ता, प्रभावकारिता और प्रभावशीलता को बनाए रखने की चुनौती उत्पन्न हो रही है। पारंपरिक व हर्बल उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए प्रयोगशाला क्षमता के नेटवर्क के माध्यम से इसे मजबूत करने की आवश्यकता है। इसके लिए मैक्रोस्कोपी, माइक्रोस्कोपी इन फार्माकोग्नॉसी, फाइटोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, अन्य उन्नत उपकरण/प्रौद्योगिकियों यानी हाई-परफॉर्मेंस थिन लेयर क्रोमैटोग्राफी (SPTLC), गैस क्रोमैटोग्राफी आदि जैसी प्रयोगशाला विधियों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करेगा।

Related posts

आयुर्वेद से किशोरियों में एनीमिया नियंत्रण के लिए हुआ समझौता

admin

अब दिसंबर 2024 तक जारी रहेगी पीएम-स्वनिधि योजना

admin

COP 27 के भारतीय पवेलियन में हरित शिक्षा पर चर्चा

admin

Leave a Comment