नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। मैथिली फीचर फिल्म ‘लोटस ब्लूम्स’ को 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) के भारतीय पैनोरमा वर्ग में प्रदर्शित किया गया। यह फिल्म संदेश देने के लिए संकेतों का उपयोग करके एक माँ और बच्चे के आपसी बंधन पर आधारित कहानी को चित्रित करती है। फिल्म में संवाद बहुत कम हैं। इसे बिहार के ग्रामीण इलाकों में शूट किया गया है।
मानवता की अच्छाई पर फोकस
फिल्म प्रकृति और मानवता की मौलिक अच्छाई पर विश्वास के बारे में है। विवेक का कमल तभी खिलता है जब वह प्रकृति माँ और व्यक्ति की आंतरिक प्रकृति-आत्मा-से जुड़ा होता है। नायक (सरस्वती) प्रेम से भरी प्रकृति माँ की प्रतीक है, जिसमें स्वीकार करने की अदम्य शक्ति है, वह कुछ देने की भावना से ओतप्रोत है और इसलिए समाज के असंवेदनशील और आसक्त कृत्य भी उसकी कोमलता और सरलता को नष्ट नहीं कर पाते हैं।
प्रकृति से संबद्ध इंसान का जीवन
इस फिल्म के पीछे की प्रेरणा के बारे में निर्देशक प्रतीक शर्मा ने कहा कि इसके पीछे का विचार था प्रकृति के साथ एक इंसान के जीवन की भावनात्मक यात्रा को दिखाना जिसके साक्षी लोग हैं। लेकिन वे इस संदेश को मनोरंजक तरीके से पहुंचाना चाहते थे। पटकथा लेखिका अस्मिता शर्मा ने बताया कि ये कायनात किसी के लिए जो योजना बनाती है, वो हमेशा पूरी होती है और कभी-कभी अप्रत्याशित तरीके से। अभिनेता अखिलेंद्र छत्रपति मिश्रा ने कहा-मैंने इस प्रोजेक्ट में काम करना इसलिए चुना क्योंकि ये संदेश व्यक्त करने के लिए सिनेमा की भाषा का इस्तेमाल करता है। समारोह में फिल्म के कलाकारों और क्रू सदस्यों को सम्मानित किया गया।