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गिफ्ट लेने पर लगी रोक
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किसी लैब की पैरवी नहीं
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मरीज का डाटा लीक नहीं करेंगे
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कमीशन कर सकेगा दंडित
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तीन साल तक रखेंगे मरीज का हेल्थ रिकॉर्ड
नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। डॉक्टरी पेशे पर नकेल कसने की कोशिश में अब नेशनल मेडिकल कमीशन ने गिफ्ट लेने पर भी रोक लगा दी है। उसने इस बारे में जारी गजट में यह निर्देश दिया है। इससे पहले जेनेरिक दवा अनिवार्य करने और मरीजों को प्रिंटेड पर्चा देने की हिदायत दी गयी थी।
गाइडलाइन में कई निर्देश
NMC ने डॉक्टरों जिन्हें वह रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (RMP) मानती है, के लिए जो प्रोफेशनल कंडक्ट जारी किया है उसके अनुसार डॉक्टर या उसके परिवार के लोग फार्मा कंपनी, मेडिकल डिवाइस कंपनी, अस्पताल या उनके प्रतिनिधि से किसी तरह का गिफ्ट, ट्रैवल, होटल जैसी सेवाएं, कैश या किसी तरह की फीस, मनोरंजन जैसे ऑफर नहीं ले सकते। वे ऐसे किसी सेमिनार में भी नहीं जा सकते जो किसी फार्मा कंपनी ने स्पॉन्सर किया हो।
टेस्ट के लिए लैब की पैरवी नहीं कर सकते
यह भी कहा गया है कि डॉक्टर टेस्ट के लिए किसी डायग्नोस्टिक लैब से किसी तरह के रिबेट या डिस्काउंट नहीं ले सकते, कमीशन या कट नहीं ले सकते। डॉक्टर किसी तरह के प्रोडक्ट को अपनी ओर से सर्टिफाई नहीं करेंगे या किसी तरह की endorsement भी नहीं करेंगे। किसी प्रॉडक्ट या सामान को मरीज को लेने की सलाह नहीं दे सकेंगे। प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर को तीन साल तक मरीज का हेल्थ रिकॉर्ड रखना जरूरी होगा। अगर कोई दूसरा डॉक्टर गलत या अनैतिक काम कर रहा है तो डॉक्टरों को बिना डरे बताना होगा।
खास परिस्थिति में इलाज से मना कर सकेगा
इसके अलावा अगर डॉक्टर मरीज को दिए गए समय पर नहीं आ पा रहा है तो मरीज को इस बात की जानकारी देनी होगी। एक राहत यह दी गयी है कि अगर मरीज दुर्व्यवहार करे, गाली दे या मारपीट करने लगे तो डॉक्टर उसका इलाज करने से मना कर सकता है और उसकी शिकायत भी कर सकता है।
सोशल मीडिया के लिए भी निर्देश
अगर डॉक्टर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय हों तो उनके लिए कहा गया है कि वे केवल तथ्यात्मक जानकारी ही पोस्ट कर सकते हैं। मरीजों के नाम, फोटो या कोई और जानकारी, उनकी बीमारी या उनके टेस्ट रिकॉर्ड पोस्ट करने की मनाही है। सोशल मीडिया पर डॉक्टर लाइक्स या फॉलोअर खरीदने का काम भी नहीं कर सकते। कई लोग अपनी सोशल मीडिया की पहुंच मजबूत करने के लिए ऐसा कर लेते हैं।
वरना होगा एक्शन
इस गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर डॉक्टर पर कार्रवाई भी की जा सकती है। जांच के आधार पर कमीशन चाहे तो शिकायत को खारिज कर सकती है, डॉक्टर को वॉर्निंग दे सकती है, उनकी काउंसलिंग की जा सकती है या पेनाल्टी लगाया जा सकता है। इसमें डॉक्टर की प्रैक्टिस सस्पेंड करने से लेकर उसकी प्रैक्टिस बंद करने तक के प्रावधान किये गये हैं।