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अब Nestle के शिशु खाद्य उत्पाद की जांच कर रही FSSAI

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। बॉर्नविटा, कंप्लान और हॉर्लिक्स के बाद केंद्र ने बहुराष्ट्रीय FMCG कंपनी Nestle के खिलाफ भारत में शिशु खाद्य उत्पादों में चीनी मिलाने से जुड़ी रिपोर्ट्स पर संज्ञान लिया है। स्विस जांच संगठन Public eye ने बताया है कि WHO द्वारा शिशु खाद्य उत्पादों में अतिरिक्त चीनी पर प्रतिबंध लगाने के कड़े दिशानिर्देशों के बावजूद कंपनी भारत में Cerelac जैसे उत्पादों में चीनी मिलाती है। भारत के अलावा कई एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में अपने खाद्य उत्पादों में शहद और चीनी मिलाती है।

Nestle ने आरोपों पर दी सफाई

सूत्रों से मिली जानकारी बताती है कि भारत का खाद्य नियामक FSSAI पब्लिक आई की रिपोर्ट की जांच कर रहा है और इसे वैज्ञानिक पैनल के सामने रखा जाएगा। पब्लिक आई की रिपोर्ट के अनुसार एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों में बिकने वाले नेस्ले के 115 उत्पादों की जांच की गई जिनमें 108 में चीनी की अधिक मात्रा मिली। उधर Nestle ने कहा है कि हम बच्चों के लिए अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता बनाए रखते हैं और हमेशा उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करने को प्राथमिकता देते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उसने कहा है कि पिछले पांच वर्षों में नेस्ले इंडिया ने शिशु अनाज पोर्टफोलियो (दूध अनाज आधारित पूरक भोजन) में वैरिएंट के आधार पर चीनी की अतिरिक्त मात्रा को 30 फीसद तक कम किया है।

Cerelac की हर खुराक में ज्यादा चीनी

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बिकले वाले 15 Cerelac की जांच से पता चलता है कि उनकी प्रत्येक खुराक में 2.7 ग्राम चीनी है। चीनी की मात्रा का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि एक शुगर क्यूब करीब 4 ग्राम चीनी का होता है। रिपोर्ट के अनुसार उत्पादों में चीनी की मौजूदगी की जानकारी कंपनी ने लेबलिंग पर भी पारदर्शी तरीके से नहीं दी। गंभीर बात यह है कि कंपनी गरीब देशों में तो WHO दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करता है पर विकसित देशों के मामले ऐसा नहीं है। जर्मनी और ब्रिटेन में बिकने वाले शिशु दुग्ध उत्पादों में चीनी की मात्रा शून्य थी। इसके मुकाबले गरीब देशों इथोपिया और थाईलैंड में बिकने वाले उत्पादों में चीनी की मात्रा प्रति खुराक क्रमशः 5 और 4 ग्राम रही।

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