नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। 19 अप्रैल को World Lever Day मनाया जाता है। लीवर की बीमारियां वैश्विक स्तर पर एक बड़ा खतरा है। भारत में भी इसका खतरा और इससे मौत के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इससे जुड़ी बीमारियां हैं लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर और कैंसर आदि। 2017 में WHO के आंकड़ों के अनुसार भारत में लिवर रोग से होने वाली मौतें 2.60 लाख से अधिक हो गई हैं। वैश्विक स्तर पर सिरोसिस से होने वाली मौतों के लिए भारत पांचवें स्थान पर है। आहार और लाइफस्टाइल की समस्याएं लिवर से संबंधित बीमारियों का कारण बनती जा रही हैं।
Prostate cancer के नये मामलों में होगी वृद्धि
लैंसेट जर्नल में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक अगले दो दशकों में दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर के नए मामलों की संख्या दोगुने से भी ज्यादा हो जाएगी। जर्नल के अनुसार 2020 में 14 लाख इसके मरीज थे जो 2040 तक 29 लाख हो जा सकते हैं। यह इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि पुरुषों में पाए जाने वाले कुल कैंसर मामलों में से लगभग 15 प्रतिशत प्रोस्टेट कैंसर के होते हैं। इसके पीछे उम्र के अलावा पारिवारिक इतिहास और जेनेटिक्स भी कारण है। ज्यादा लाल मांस और कम फल-सब्जियों वाली डाइट, मोटापा और शारीरिक गतिविधि की कमी आदि इसके खतरे को बढ़ा सकते हैं।
पाचन तंत्र को प्रभावित कर रहा Microplastic
प्लास्टिक के महीन कण भोजन, पानी और हवा से हमारे शरीर में घुल कर पाचन तंत्र को प्रभावित कर रहे हैं। इसके अलावा ये आंतों से होते हुए शरीर के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों जैसे गुर्दे के ऊतकों, लिवर और मस्तिष्क तक पहुंच रहे हैं। द यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मैक्सिको एंड हेल्थ साइंसेज से जुड़े वैज्ञानिकों की स्टडी में यह तथ्य सामने आए हैं। इसे जर्नल एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स में प्रकाशित किया गया है। यह पहली बार है, जबकि माइक्रोप्लास्टिक के कारण इतने घातक परिणाम अध्ययन में उजागर हुए हैं।