सूरत में हुआ जनऔषधि पर राष्ट्रीय सेमिनार, स्टोर संचालकों के लिए राहत की खबर, त्वरित होगा उनकी समस्या का समाधान
आशुतोष कुमार सिंह
भारत में राजनीति करने के मानक बदल रहे हैं। जाति,धर्म एवं रंग-रूप से ऊपर, विकास के मुद्दे प्रबल होते हुए दिख रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर इतनी सजग एवं सतर्क है। सरकार के सभी मंत्री अपनी मंत्रालय के रिपोर्ट-कार्ड के साथ आम-जन के बीच में हैं। खुद देश के प्रधानमंत्री अपनी योजनाओं का जायजा लेने के लिए मैदान में आ खड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री की सक्रीयता का असर अब कई विभागों पर भी देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री की सबसे महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के आला-अधिकारी भी अब फिल्ड में दिखने लगे हैं।
पीएमबीजेपी की अगर बात करें तो ऐसा पहली बार हो रहा है कि पीएमबीजेपी के टॉप मॉस्ट अधिकारी जनऔषधि संचालकों से मिल रहे हैं। उन्हें सेमिनार में बुलाया जा रहा है। उनकी समस्याएं सुनी जा रही हैं। ऐसा पहले नहीं देखने को मिल रहा था। जनऔषधि संचालकों को राम-भरोसे छोड़ दिया गया था। चिकित्सकों से इस योजना के बारे में चर्चा नहीं की जा रही थी। लेकिन अब आम लोग से लेकर चिकित्सक, फार्मासिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता सभी को इस योजना से जोड़ा जा रहा है। और इस योजना को सफल बनाने की सार्थक कोशिश की जा रही है। इसी कड़ी में इस पिछले सप्ताह 20 जुलाई को गुजरात के सूरत में जनऔषधि को लेकर पीएमबीजेपी ने एक सेमिनार आयोजित किया था। इस आयोजन में जनऔषधि स्टोर चला रहे संचालकों एवं स्थानीय चिकित्सकों को भी बुलाया गया था। स्वास्थ्य के प्रति सजग एवं पीएमबीजेपी को मजबूत करने के इरादे से आयोजित यह सेमिनार बहुत सफल रहा। चिकित्सकों के मन में जेनरिक दवाइयों को लेकर व्याप्त भ्रम तो दूर हुआ ही साथ ही जनऔषधि संचालकों को काम करने की एक नई ऊर्जा भी मिली।
मिशन मोड में पीएमबीजेपी
पीएमबीजेपी के सीइओ सचिन कुमार सिंह का मानना है कि, इस तरह के आयोजनों से ज नऔषधि परियोजना को जमीन पर उतारने में सहुलियत मिलती है। इस आयोजन में भी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष, दवा निर्माता, फार्मासिस्ट, गैर-सरकारी संगठन के लोग एवं लाभार्थी एक साथ उपस्थित हुए। चिकित्सकों ने जेनरिक दवा के बारे में खुलकर बातचीत की। इससे जनऔषधि संचालक एवं चिकित्सकों के बीच जो अविश्वास का माहौल था, वह भी दूर हुआ। इस सेमिनार में हमलोग दवा की रख-रखाव, भंडारण, वितरण संबंधित सभी पहलुओं पर प्रेजेंटेशन भी दिए। कुल मिलाकर यह कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा। पिछले दिनो स्वस्थ भारत डॉट इन को दिए अपने साक्षात्कार में भी सचिन कुमार सिंह ने जनऔषधि को लेकर अपनी सक्रियता एवं विजन को स्पष्ट किया था। उनका स्पष्ट रूप से मानना था कि इस परियोजना का फायदा अंतिम जन को मिले, इसके लिए पीएमबीजेपी हर संभव कोशिश कर रहा है।
प्रधानमंत्री का सेहत-मंत्र
लोगों की सेहत को लेकर सरकार की सक्रियता का अंदाजा प्रधानमंत्री के बयानों एवं क्रियाशीलता से भी लगाया जा सकता है। इसी कड़ी में पिछले 7 जून, 2018 को प्रधानमंत्री ने वीडियो ब्रीज के माध्यम से ‘सेहत की बात पीएम के साथ’ कार्यक्रम के अंतर्गत उन लोगों से बातचीत की जिन्हें सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं से लाभ हुआ है। सरकार के इस पहल को अंतिम जन तक पहुंचने की सार्थक कोशिश कहा जा सकता है। सिर्फ स्वास्थ्य के मुद्दे पर लाभान्वितों से देश का प्रधानमंत्री बात करे, ऐसा शायद पहली बार ही हुआ है। तकरीबन 47मिनट तक दिए अपने संबोधन एवं बातचीत में प्रधानमंत्री ने उन सभी पहलों का जिक्र किया, जिसे उनकी सरकार ने पिछले 48 महीनों में लागू किया है। स्वच्छ भारत अभियान, पोषण अभियान, इन्द्रधनुष अभियान, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना, मेडिकल सीटों की बढ़ोत्तरी, एम्स का निर्माण, अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस, आयुष को बढ़ावा देने जैसी बातों से लेकर दवाइयों की कीमतों में हुई कमी तक तमाम बिन्दुओं पर उन्होंने अपनी बात रखी।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि, सफलता एवं समृद्धि का आधार स्वास्थ्य ही है। इस बात को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि, ‘बीमारी सिर्फ शारीरिक कष्ट नहीं देती बल्कि इसके सामाजिक एवं आर्थिक पक्ष भी है। अगर किसी मध्यम वर्ग परिवार का सदस्य बीमार हो जाए तो उस परिवार की आर्थिकी खराब हो जाती है, कई बार तो मध्यम वर्ग का आदमी निम्न वर्ग में और निम्न वर्ग का आदमी गरीबी रेखा के नीचे चला जाता है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि, ‘हमें खुशी है कि सरकार ने स्वास्थ्य की दिशा में सही नीति बनाई है। गरीब को बीमारी के ईलाज के नाम पर कम से कम खर्च करना पड़े, इसके लिए प्रत्येक स्तर पर हमने काम किया है। लोगों को सस्ती दवा मिले इसके लिए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केन्द्र, घर के पास इलाज मिल सके इसके लिए आयुष्मान भारत के तहत डेढ़ लाख वेलनेस सेंटर, 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से स्वास्थ्य सुरक्षा देने का काम सरकार ने किया है। लोग बीमार न पड़े इसके लिए सरकार ने योगा एवं स्वस्छ भारत अभियान, पोषण अभियान एवं मिशन इन्द्रधनुष अभियान जैसे जनसरोकारी अभियान चल रहे हैं।’
सरकारी तंत्र स्वास्थ्य के मसले पर कितना गंभीर है इसका उदाहरण उस समय देखने को मिला जब जनऔषधि केन्द्रों की संख्या 5000 किए जाने की वकालत प्रधानमंत्री ने की और इस बात के ठीक से एक घंटे भी नहीं बीते होंगे कि रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख भाई मांडविया ने ट्वीट कर के यह सूचना दी कि प्रधानमंत्री के सपने को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय जल्द पूर्ण करेगा। इस बीच नया ट्रेंड यह भी देखने को मिल रहा है कि स्वास्थ्य संबंधी प्रधानमंत्री की बातों को सरकार के सभी मंत्री प्रमुखता से अपने ट्वीटर हैंडल से साझा कर रहे हैं। इसे एक अच्छी परिपाटी कहा जा सकता है। इससे लोगों तक सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाने में बहुत मदद मिलेगी।
स्वास्थ्य के जानकारों की माने तो पहले की सरकार अपनी योजनाओं को लेकर इस स्तर तक मिशन मोड में कभी नहीं रहती थी। देश के जाने-माने न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष को लगता है कि स्वास्थ्य को लेकर इतनी बातें इसके पूर्व कभी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार अंतिम जन तक पहुंचना चाहती है, यह एक शुभ संकेत है।
वीडियो ब्रीज के माध्यम से प्रधानमंत्री ने झारखंड के रामगढ़ के रहने वाले जनऔषधि संचालक फार्मासिस्ट अंजन प्रकाश से लंबी बातचीत की, वहीं जयपुर, राजस्थान में रहने वाली हैदराबाद की माला जी ने जेनरिक दवा से हुए फायदे के बारे में पीएम को बताया। अंजन प्रकाश ने बताया कि किस तरह उन्होंने गरीब लोगों की सेवा करने के लिए नौकरी छोड़कर प्रधानमंत्री जनऔषधि केन्द्र खोला। और इस केन्द्र को खोलने के लिए 7 दिनों में उन्हें लाइसेंस मिल गया। निश्चित रूप से फार्मासिस्ट अंजन के इस प्रयास से देश के लाखों बेरोजगार फार्मासिस्टों को यह संदेश तो जरूर जायेगा कि वे चाहे तो जनऔषधि केन्द्र खोलकर एक नया स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। अलिगंज, लखनऊ को विरवान सिंह ने स्टेंट के दाम कम होने के फायदे की बात बताई, आन्ध्र प्रदेश के विजय बाबू ने डायलेसिस से हुए फायदे के बारे में बोले तो वही अलवर, राजस्थान की लक्ष्मी देवी ने घुटना प्रत्यारोपण में हुई बचत के बारे में प्रधानमंत्री से अपने अनुभव साझा किया।
गौरतलब है कि सरकार द्वारा शुरु किए गए प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के तहत अभी तक देश में 3750 से ज्यादा केन्द्र खुल चुके हैं। इन केन्द्रों पर मिलनी वाली जेनरिक दवाइयों की संख्या भी बढ़कर 700 पहुंच चुकी है। सर्जीकल उत्पाद भी यहां मिलने लगे हैं।
‘ जनऔषधि सुविधा’ महिलाओं के लिए वरदान
हाल ही में पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख भाई मांडविया ने बेटियों को ‘जनऔषधि सुविधा’ के रूप में नई सौगात दी है। ‘ जनऔषधि सुविधा’ नाम से ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन का उन्होंने नई दिल्ली के पीआईबी सेंटर में लोकार्पण किया। 10 रुपये में चार पैड मिलेंगे। इस नैपकिन की विशेषता को बताते हुए रसायन मंत्री ने कहा कि यह सैनिटरी पैड पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करेगा। पर्यावरण के अनुकूल इसे बनाया गया है। मिट्टी में यह आसानी से घुल-मिल जायेगा। इस अवसर पर रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री ने बालिकाओं एवं महिलाओं को ‘जनऔषधि सुविधा’ सैनिटरी पैड गिफ्ट किया। किसी मंत्री द्वारा महिला स्वास्थ्य के प्रति इस तरह कि पहल भी पहली बार ही देखने को मिला है। वह भी ऐसे विषय पर जिस पर बात करने में भी गांव-घर की महिलाएं संकुचाती है, उस विषय पर बोलना और बालिकाओं को सैनिटरी पैड गिफ्ट करने की पहल सरकार की सही सोच एवं मिशन मोड को दर्शाता है।