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सफलता के लिए सकारात्मक विश्वास जरूरी

डॉ. मनोज कुमार

पटना। कमरे में हल्की-हल्की रोशनी फैली हुयी है और मध्यम-मध्यम हवाएँ अल्का जी के सिर के आंचल को उङा रही थी। छज्जूबाग, पटना के मध्यमवर्गीय परिवार का यह घर कुछ मामलों में अलग सा दिख रहा है। आसपास के इलाके में बङ़ी-बङ़ी इमारतें थीं। अभिनव इन्हीं का गोद लिया बेटा है। पिछले दिनों सिविल सेवा पास करनेवाले में यह भी शामिल रहा है। 56 वर्षीय अल्का जी का सफर इतना आसान न था। कारगील युद्ध में अपने शहीद पति की याद में पेंशन पर जीते हुए। पटना के अखबारों से जुङी रही। आश्रय गृह में सेवाएं दी। बच्चों को पढाया। एक दिन पोलियोग्रस्त अभिनव 11 साल की उम्र में इन्हें मिला। तब से अबतक इन्हीं की बदौलत ये कामयाबी अभिनव को मिली थी। अभिनव को पढने की भूख थी।
जिंदगी में जो उतार-चढाव अल्का जी ने देखा, शायद वही उनके जूनून का साथी बनता गया। एक समय था जब उनको टीबी की बीमारी हो गयी थी। उनके हौसले तब भी उतने मजबूत थे जितने कि आज। जो लोग अपनी तमाम व्यस्ताओं के बावजूद खुशियो को ढूँढ लेते हैं। उनकी जिंदगी के मायने औरो से अलग होते हैं।

जिंदगी जीने का नाम

जो लोग अपनी जिंदगी में सकारात्मक भावनाएँ भरते हैं उनको दुःख में भी सुख का एहसास होता है। टूट चुके उम्मीदें भी जुङकर व्यक्ति में विश्वास जगाता है। आशा जगाता है। जीने की हौसला देता है। उपलब्धि पर गर्व करना सिखाता है।

नकारात्मक विचारो से रहें दूर

तमाम तरह की बुराइयों से भी अगर आप घिरे हों फिर भी किसी के लिए नफरत, गुस्सा न रखना आपके पुरुषार्थ को बढाता है। अगर आप विपरीत परिस्थिति में घिरे जी रहे फिर भी यदि आप नये संबंध बढाते जाते हैं तो आपकी हार के बाद जीत की बारी आ ही जाती है।

स्पष्ट करें जीवन उदेश्य

जब आपका सबकुछ खत्म हो जाये फिर भी आपको अपनी जिंदगी के मायने तलाशने चाहिए। सकारात्मक इरादे से तय जीवन लक्ष्य सफलताओं के दरवाजे खोलता है।

खुद को स्वीकार करें

आप चाहे जैसे हैं और जिस परिस्थितियों में होंए खुद को स्वीकार करें। अपनी कमियों को स्वीकृत करें। अच्छे अनुभवों को महसूस कर पुराने दुःखदायी पलो को भूलने की कोशिश करें। जितना आप खुद को स्वीकार करते जायेंगे, आपकी खुशी उतनी ही मात्रा में लौटती जायेगी।
तभी शीशे की ग्लास में शरबत लिए अल्का आंटी ने कहा-लो बेटा कुछ पी लो। मैने अभिभूत नजरों से उनकी ओर देखा।

(लेखक डॉ॰ मनोज कुमार प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक हैं।)

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