नई दिल्ली/पीआईबी/18.06.18
‘देश में 2013 से मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में रिकॉर्ड 22 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। एसआरएस के पहले के राउंड्स के अनुसार पहले के वर्षों में एमएमआर में हुई कमी की तुलना में यह अब तक की सबसे अधिक कमी है। ‘देश में मातृ मृत्यु दर 2011-13 में 167 थी, जो 2013-16 में घटकर 130 हो गयी। यह मंत्रालय और राज्यों के संयुक्त प्रयासों से संभव हुआ है। मैं राज्यों और इस उपलब्धि से जुड़े सभी हितधारकों को बधाई देता हूं।’ उक्त बातें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की 11वीं सामान्य समीक्षा मिशन (सीआरएम) रिपोर्ट जारी करते हुए नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कही।
अश्वनी कुमार चौबे ने कहा कि राज्यों में 60 से 70 प्रतिशत स्वास्थ्य कार्य एनएचएम के जरिये किया गया है। एनएचएम की सबसे बड़ी जिम्मेदारी देश को स्वस्थ्य और रोगमुक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल आपूर्ति की सुदृढ़ प्रणाली के कारण स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सूचकांक में सुधार हुआ है। श्री चौबे ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राज्य और उप जिला स्तर पर जन स्वास्थ्य प्रणालियों के सुदृढ़ीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उनका मानना है कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों को भी एनएचएम की गतिविधियों के बारे में पर्याप्त जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि इससे इस कार्यक्रम में उनकी भागीदारी बढ़ सके।
इस अवसर पर सचिव (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) श्रीमती प्रीती सूदन ने कहा कि एनएचएम एक महत्वपूर्ण संस्थागत ढ़ांचा है, क्योंकि यह राज्य में मौजूद सरकारी संरचनाओं, विभिन्न कार्य परिस्थितियों और प्राथमिकताओं को आत्मसात करने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि साझा स्वास्थ्य लक्ष्यों को कार्यान्वित करने के लिए एनएचएम राज्यों को बहु-क्षेत्रीय लचीलापन और अभिसरण प्रदान करता है। प्रीति सूदन ने आगे कहा कि मंत्रालय ने चरणबद्ध तरीके से उप स्वास्थ्य केंद्रों को स्वास्थ्य और वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी-एचएचसी) के रूप में मजबूत किया है, ताकि 2022 तक 1,50,000 एचडब्ल्यूसी परिचालित करने की प्रतिबद्धता को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘एचडब्ल्यूसी में मध्य स्तर प्रदाता महत्वपूर्ण अवयवों में से एक है। हमें उन्हें प्रशिक्षण देने और उनकी दक्षताएं बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि एनएमसी विधेयक से राज्यों में लोगों को नौकरी पर रखने में लचीलापन आएगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सूक्ष्मजीव रोधी प्रतिरोधकता (एएमआर) विशेषरूप से एसएनसीयू पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कुष्ठ रोग और कालाजार से प्रभावित जिलों के लिए समय सीमाबद्ध विशिष्ट रणनीति विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर अपर सचिव और प्रबंध निदेशक श्री मनोज झालानी तथा स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. एस वैंकटेश भी उपस्थित थे।
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