नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। ब्रेस्ट कैंसर में योग बहुत कारगर उपाय है। यह न केवल रोग की वापसी रोकता है बल्कि मृत्यु की संभावना कम होने का संकेत भी देता है। यह नतीजा दुनिया के सबसे बड़े माने जाने वाले टाटा मेमोरियल के रैन्डमाइजज्ड ट्रायल टेस्टिंग इफेक्ट ऑफ योग इन ब्रेस्ट कैंसर से मिला है।
योग से काफी सुधार दिखा
टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के एक अध्ययन के अनुसार स्तन कैंसर के रोगियों के उपचार में योग को शामिल करने से रोग मुक्त उत्तरजीविता (DFS) में 15 प्रतिशत और समग्र उत्तरजीविता (OS) में 14 प्रतिशत सुधार देखा गया है। योग परामर्शदाताओं, चिकित्सकों के साथ-साथ फिजियोथेरेपिस्ट से प्राप्त जानकारी के साथ-साथ योग उपायों को स्तन कैंसर के रोगियों और इस रोग से मुक्त हुए लोगों की जरूरतों के अनुसार, उनके उपचार और रोगमुक्ति के विभिन्न चरणों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था। योग प्रोटोकॉल में विश्राम और प्राणायाम की नियमित अवधि के साथ आसनों को शामिल किया गया। इन आसनों को योग्य और अनुभवी योग प्रशिक्षकों द्वारा कक्षाओं के माध्यम से लागू किया गया। इसके अलावा प्रोटोकॉल के हैंडआउट्स और सीडी भी उपलब्ध कराये गए।
भारतीय परंपरागत उपचार का सटीक उदाहरण
यह नैदानिक परीक्षण वाली महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह भारतीय परंपरागत उपचार का ऐसा पहला उदाहरण है जिसका मजबूत नमूनों के आकार के साथ रैन्डमाइज़्ड अध्ययन के मजबूत पश्चिमी ढांचे में परीक्षण किया जा रहा है। स्तन कैंसर महिलाओं को प्रभावित करने वाला आमतौर पर होने वाला कैंसर है। इससे महिलाओं को मौत का खतरा और इसके उपचार के दुष्प्रभाव और उससे निपटने की चिंता भी सताती है।
डॉ. नीता नायर का रिसर्च अमेरिका में प्रस्तुत
डॉ. नीता नायर ने अमरीका में वार्षिक रूप से आयोजित किए जाने वाले विश्व के सबसे प्रतिष्ठित स्तन कैंसर सम्मेलनों में से एक, सैन एंटोनियो स्तन कैंसर संगोष्ठी (SABCS) में एक स्पॉटलाइट प्रस्तुति के रूप में प्रस्तुत स्पॉटलाइट शोध-पत्र प्रस्तुत किया। इसमें स्तन कैंसर पर योग के ऐतिहासिक प्रशिक्षण प्रभाव प्रस्तुत किए गए हैं। इस सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए हजारों शोध-पत्रों में से कुछ को स्पॉटलाइट विचार-मिमर्श के लिए चुना गया है।