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एक साथ कई पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। प्रकाशक रे माधव आर्ट की ओर से यहां पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ‘अनावृत’ नाम से कंस्टीटूशन क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में सुरेश भैया जी जोशी (आरएसएस के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य)-एवं पूर्व सह सरकार्यवाह उपस्थित थे। इनके अलावा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, प्रो. उमेश अशोक कदम, सदस्य सचिव भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद, अनिल जोशी, उपाध्यक्ष केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल आगरा, प्रभासकर राय, निदेशक ओएनजीसी लिमिटेड, प्रधानाचार्य एल. आर. डिग्री कॉलेज, फिरोजाबाद एवं अनंत विजय, सह संपादक दैनिक जागरण ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

भरतनाट्यम से कार्यक्रम का आरंभ

कार्यक्रम का आरंभ भरतनाट्यम नर्तक सोहेल खान की नृत्य प्रस्तुति के साथ हुआ। पुस्तक लोकार्पण के क्रम में वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती शशि प्रभा तिवारी की सद्यः प्रकाशित तीन पुस्तकों ‘शास्त्रीय नृत्यकारों से अंतरंग संवाद’, ‘लोकनाट्य की विरासत-नाचा, माच, नौटंकी’ और ‘कान्हा सुन ले’ का लोकार्पण हुआ। इसी क्रम में एक दर्जन अन्य पुस्तकों का भी लोकार्पण हुआ। राहुल ‘नील’ की कहानी संग्रह ‘कहानी कुछ इधर-उधर की’, हरमन हेस, राजेश बाली द्वारा अनूदित ‘सिद्धार्थ’, खलील जिब्रान का ‘अग्रदूत’, महात्मा गांधी संपादकः डॉ. नरेंद्र शुक्ला ‘शिक्षा धर्म’, विकी आर्य की ‘चुल्लू भर चांदनी’ और ‘घास के फूल’, विख्यात राजस्थानी लेखक विजयदान देथा का ‘अनोखा पेड़’, अरुण सिंघला की ‘गुमशुदा आदमी’ और मधु बी जोशी की पुस्तक ‘प्रवासी परिंदे’ का लोकार्पण हुआ।

बना रहा साहित्यिक माहौल

अपनी रचनाओं पर शशि प्रभा तिवारी ने कहा कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी पुस्तकों का लोकार्पण इतनी महान विभूतियों के कर-कमलों द्वारा होगा। मैं बहुत अभिभूत हूं और अपने को धन्य मानती हूं। रचनाकार अभी की आर्य ने अपनी पुस्तक चुल्लूभर चांदनी से कुछ पंक्तियां पढ़ीं। डॉक्टर नरेंद्र शुक्ला ने धर्म शिक्षा पर नई शिक्षा नीति के संदर्भ में प्रस्तुत किया। विजयदान देथा जी के पुत्र ‘अनोखा पेड़’ को लोकार्पण हेतु उपस्थित हुए और हिंदी के साथ-साथ राजस्थानी को भी महत्व देने पर जोर दिया। राजेश बाली ने ‘सिद्धार्थ’ और ‘अग्रदूत’ को अध्यात्म और जीवन के साथ जोड़ते हुए अपने विचार रखे। इन पुस्तकों के संदर्भ में सुरेश भैया जी जोशी ने कहां कि ऐसे प्रकाशक और ऐसे रचनाकार समाज और देश को दिशा प्रदान करते हैं। प्रकाशक माधव भान ने बताया अतुल गर्ग जी के सहयोग से मैं लेखकों को पूर्व भुगतान कर पाता था। धन्यवाद ज्ञापन गाजियाबाद से पूर्व एमएलए अतुल गर्ग ने किया।

 

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