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धूम्रपान से न सिर्फ हृदयाघात, लकवा और रक्तचाप के बढ़ने का खतरा बढ़ता है बल्कि इससे नपुंसकता का खतरा भी बढ सकता है। जो पुरुष एक दिन में 20 सिगरेट पीते हैं उनमें से 40 फीसदी से ज्यादा इरेक्टाइल डिसफंक्षन के शिकार होते हैं बनिस्बत धूम्रपान न करने वालों के।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक़ धूम्रपान में पायी जाने वाली निकोटीन से विभिन्न अंगों में रक्त की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है। टोबाको कन्टरोल जर्नल में प्रकाषित पुरुषों में के अध्ययन के मुताबिक 16-59 साल वाले पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंशन का खतरा लगभग दो गुना होता है बनिस्बत उन लोगों के जो धूम्रपान नहीं करते हैं।
धूम्रपान के अलावा, बहुत ज्यादा षराब पीना और वियाग्रा जैसी दवाओं का दुरुपयोग भी पुरुषों के यौन स्वास्थ को प्रभावित कर सकता है। सर्दी के दिनों में इससे मधुमेह, रक्तचाप भी अनियंत्रित हो सकते हैं।
जबरदस्त ठंड के दौरान अवसाद की समस्या भी हो सकती है। जो लोग धूम्रपान को छोड़ना चाहते हैं, उनके लिए सर्दी का मौसम सबसे बढ़िया समय होता है।
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