आशुतोष कुमार सिंह
भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का अपना प्राचीन इतिहास रहा है। भारत हमेशा से चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। बीच के कुछ कालखंड को छोड़ दे तो भारत की प्राचीन चिकित्सकीय परंपरा हमेशा से सर्वोपरी रही है। वर्तमान समय में भी देश-दुनिया के लोग इस बात को मानने लगे हैं कि स्वस्थ रहना है तो भारतीय स्वास्थ्य पद्धतियों को अपना ही होगा। आयुर्वेद,यूनानी,होमियोपैथी, सिद्धा, प्राकृतिक चिकित्सा, योगा एवं सोवा-रिग्पा जैसी चिकित्सा पद्धतियों को संवर्धित करने एवं इनकी पहुंच आम-जन तक पहुंचाने के लिए ही भारत सरकार ने अलग से आयुष मंत्रालय बनाया है। इस कड़ी में आगे बढ़ते हुए भारत सरकार की पहल के कारण योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान जून 2015 में मिला। और पूरी दुनिया ने एक स्वर में 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने पर अपनी सहमति प्रदान की। तब से योग का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
योग के लिहाज से 27 सितंबर, 2014 का वह दिन बहुत ही ऐतिहासिक था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग के महत्व को दुनिया को समझा रहे थे। उन्होंने कहा था कि “योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है।”
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्यों द्वारा 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। अपने देश के इस प्रस्ताव को महज 90 दिनों में पूर्ण बहुमत से पारित किया गया। इस महीने 21 जून को फिर से पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने जा रही है। भारत सरकार भी पूरे देश में योग को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग मंचों पर कार्यक्रम आयोजित कर रही है। साथ ही स्वयसेवी संस्थाएं भी इस दिवस को और व्यापक बनाने के लिए जुट गयी हैं। योग से जुड़ी कुछ सामान्य जानकारी सबके लिए जरूरी है। आइए जानते हैं।
सामान्य योगाभ्यास से जुड़ी सावधानियां
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को ध्यान में रखकर ‘सामान्य योग अभ्यासक्रम (प्रोटोकॉल)’ नाम से एक पुस्तक का प्रकाशन किया है। पुस्तक के पीडीएफ को आप दिए गए लिंक (https://moayush.files.wordpress.com/2017/05/common-yoga-protocol-hindi_0.pdf) से डाउनलोड कर सकते हैं। इस पुस्तक में योगाभ्यास के लिए सामान्य दिशा निर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों का पालन बहुत जरूरी है। इन निर्देशों को संक्षेप में आइए जानते हैं।
अभ्यास के पूर्व
- शौच-शौच का अर्थ है शोधन, यह योग अभ्यास के लिए एक महत्वपूर्ण एवं अपेक्षित क्रिया है। इसके अंतर्गत आसपास का वातावरण, शरीर एवं मन की शुद्धि की जाती है।
- योग अभ्यास शांत वातावरण में आराम के साथ शरीर एवं मन को शिथिल करके किया जाना चाहिए।
- योग अभ्यास खाली पेट अथवा अल्पाहार लेकर करना चाहिए। यदि अभ्यास के समय कमजोरी महसूस हो तो गुनगुने पानी में थोड़ी सी शहद मिलाकर लेना चाहिए।
- योगाभ्यास मल एवं मूत्र विसर्जन करने के उपरान्त प्रारंभ करना चाहिए।
- अभ्यास करने के लिए चटाई, दरी, कंबल अथवा योग मैट का प्रयोग करना चाहिए।
- अभ्यास करते समय शरीर की गतिविधि आसानी से हो, इसके लिए सूती के हल्के और आरामदायक वस्त्र पहनना चाहिए।
- थकावट, बीमीरी, जल्दबाजी एवं तनाव की स्थिति में योग नहीं करना चाहिए।
- यदि पुराने रोग, पीड़ा एवं हृदय संबंधी समस्याएं हों तो ऐसी स्थिति में योग अभ्यास शुरू करने के पूर्व चिकित्सक अथवा योग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।
- गर्भावस्था एवं मासिक धर्म के समय योग करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।
अभ्यास के समय
- अभ्यास सत्र प्रार्थना अथवा स्तुति से प्रारंभ करना चाहिए क्योंकि प्रार्थना अथवा स्तुति मन एवं मस्तिष्क को विश्रांति प्रदान करने के लिए शांत वातावरण निर्मित करते हैं।
- योग अभ्यास आरामदायक स्थिति में शरीर एवं श्वास-प्रवास की सजगता के साथ धीरे-धीरे प्रारंभ करना चाहिए।
- अभ्यास के समय श्वास-प्रवास की गति नहीं रोकनी चाहिए, जब तक कि आपको ऐसा करने लिए विशेष रूप से कहा न जाए।
- श्वास-प्रवास सदैव नासारन्ध्रों से ही लेना चाहिए, जब तक कि आपको अन्य विधि से श्वास-प्रवास लेने के लिए न कहा जाए।
अभ्यास के बाद
- अभ्यास के 20-30 मिनट बाद स्नान करना चाहिए।
- अभ्यास के 20-30 मिन बाद ही आहार ग्रहण करना चाहिए, उससे पहले नहीं।