नयी दिल्ली। स्थानीय ज्ञान प्रणालियों की क्षमता की पहचान और उनकी खामियों को दूर करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित हस्तक्षेप जरूरी है। स्थानीय ज्ञान प्रणाली को मजबूती मिलने से स्थानीय समुदायों के जीवन-यापन के रास्ते खुल सकते हैं और उनके सशक्तीकरण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। नई दिल्ली में टेकनींव@75 कार्यक्रम के समापन के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर ने ये बातें कही हैं।
पिछले साल हुई थी शुरूआत
टेकनींव@75 कार्यक्रम की शुरुआत गत वर्ष सामुदायिक क्षमता निर्माण और सामुदायिक स्तर पर विकसित नवोन्मेषी उत्पादों में सुधार तथा उन्हें बाजार दिलाकर आजीविका के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। यह कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संयुक्त पहल पर आधारित है। डॉ. एस. चंद्रशेखर ने कहा कि प्रभावी और परिवर्तनकारी नवाचार प्रायः उन्हीं लोगों के बीच से आते हैं, जो कुछ नया करने के लिए उत्साहित और अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं ढूँढने के लिए सबसे आगे रहते हैं। जनसाधारण द्वारा विकसित ऐसी नवोन्मेषी तकनीकों को बढ़ावा देना और उनकी खामियों को दूर करना जरूरी है। ऐसा करके ही स्थानीय लोगों द्वारा विकसित तकनीकों से आजीविका के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।
आजीविका में प्रौद्योगिकी की भूमिका
टेकनींव@75 कार्यक्रम में आजीविका और लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका और उसे अनुकूलित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत समुदायों, सोशल चेंजमेकर्स और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया है ताकि विशेषज्ञों के अनुभवों का लाभ जमीनी नवाचार करने वाले लोगों तक पहुँच सके।
कई अनुभव दिये टेकनींव@ 75 ने
विज्ञान प्रसार में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ किंकिणी दासगुप्ता मिश्रा ने बताया कि टेकनींव@75 से कई अनुभव मिले हैं। इनमें स्थानीय नवाचार प्रणाली मजबूत करने के लिए मॉडल्स का विकास, स्थायी आजीविका के लिए पीपीपी मॉडल्स की खोज, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित ग्रामीण उद्यमिता, स्थानीय उत्पादों का व्यावसायीकरण एवं बाजार उन्मुखीकरण, प्रभावी क्षमता निर्माण तंत्र; और डिजिटल रूप से सक्षम आजीविका तंत्र विकिसित करने से संबंधित अनुभव शामिल हैं।
इंडिया साइंस वायर से साभार