स्वस्थ भारत मीडिया
नीचे की कहानी / BOTTOM STORY

वाहनों के टायर भी वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेवार

अजय वर्मा

नयी दिल्ली। वायु प्रदूषण ग्लोबल समस्या बन गयी है। ठंड हो या गर्मी…भारत के अधिकांष शहर इससे जूझते रहते हैं। अभी थाईलैंड में इससे दो लाख लोग अस्पताल में भर्ती हैं। वायु प्रदूषण के कई कारकों में वाहन भी एक अहम कारक है। अब आपका ध्यान पेट्रोल-डीजल पर स्वाभाविक रूप से जायेगा लेकिन इसमें टायर का भी रोल है, इस पर सहसा भरोसा नहीं होगा। एक स्टडी में यह सामने आया है कि टायरों के घिसाव से महीन कणों का उत्सर्जन ख़तरा पैदा कर रहा है।

टायरों के घर्षण से निकले कण घातक

वैज्ञानिकों ने बताया कि वाहनों के उत्सर्जित अवशिष्ट से जितनी मात्रा में महीन कण निकलते हैं, उससे कहीं अधिक मात्रा में ऐसे कण टायरों के घर्षण से निकल कर वातावरण में आ रहे हैं। हालांकि टायरों के नए डिज़ाइन इस ख़तरे को कम करने में मदद कर सकते हैं। यूके सरकार के आंकड़ों का अध्ययन कर इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के वैज्ञानिकों ने बताया कि साल 2021 में 52 फीसद कण टायरों और ब्रेक के घिसने से निकले जबकि कारों और दूसरे भारी वाहनों के एक्जॉस्ट से निकलने वाले कुल कणों का हिस्सा 25 फीसद था।

भारत में ऐसी स्टडी का अभाव

शोध में बताया गया है कि कारों के चलने पर छोटे कण टायरों से अलग होकर हवा में चले जाते हैं और सांस के द्वारा फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं। टायरों को बनाने में जो रसायन प्रयोग किए जाते हैं उनके कारण यह महीन कण स्वास्थ्य के लिए अधिक हानिकारक होते हैं। भारत में 2019 में करीब 30 करोड़ वाहन सड़क पर थे। हर साल इसकी संख्या में भारी इजाफा हो रहा है। फिर भी इस संबंध में कोई स्टडी नहीं की गयी है जो घोर चिंता की बात है।

Related posts

Good News For HOMOEOPATHY

Ashutosh Kumar Singh

अंडर ट्रायल दवा का कमाल, बची महिला की जान

admin

स्वास्थ्य प्रबंधन : आवश्यकता एवं मार्ग

Ashutosh Kumar Singh

Leave a Comment