कहीं आप स्वास्थ्य से संबंधित गलत सूचना तो नहीं दे रहे
नई दिल्ली/12.07,19/ आशुतोष कुमार सिंह
सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, यूट्यूब पर तमाम तरह की खबरे आती-जाती रहती हैं। लोग देखते हैं और भूल जाते हैं। लेकिन जब खबर स्वास्थ्य से संबंधित हो तो लोग उसे देखते भी हैं और उससे काम की चीज ढूंढ़ने का प्रयास भी करते हैं। इसका फायदा उठाकर बहुत से ग्रुप गलत सूचना का प्रसार एवं प्रचार करते हैं। खासतौर से अल्टरनेटिव मेडिसिन के नाम पर तमाम तरह की गलत सूचना धड़ल्ले से पड़ोसी जा रही है।
वासिंगटन पोस्ट, अमेरिका में छपी है खबर
वासिंगटन पोस्ट की खबर में बताया गया है कि फेसबुक पर स्वास्थ्य के नाम पर बने तमाम ग्रुप्स की स्कैनिंग की जा रही है। खबर में यह भी बताया गया है कि फेसबुक उन तमाम फ्रेजों को आइडेंटिफाइ करने में जुटा है जिनका इस्तेमाल गलत सूचना पहुंचाने में की जाती है। फेसबुक मानना है कि कैंसर जैसे बीमारी के ईलाज का दावा करने वाले बहुत से ग्रुप सक्रिय हैं। इस बावत अमेरिका के अखबारों ने कई बार खबर प्रकाशित भी की है।
कहीं भारतीय आयुर्वेद को सीमित करने की चाल तो नहीं
प्रथम दृष्टया फेसबुक के यह फैसला ठीक लग रहा है। लेकिन दूसरी तरफ ऐसा भी प्रतीत हो रहा है कि कैंसर की दवा बेचने वाली कंपनियों का दबाव भी फेसबुक पर हो। उन्हें लगता हो कि अल्टरनेटिव मेडिसिन से या हिलिंग से यदि किसी का कैंसर ठीक हो जाएगा तो उनका क्या होगा? ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत सरकार इन दिनों अल्टरनेटिव मेडिसिन पर ज्यादा ध्यान दे रही है। साथ ही भारत सरकार का आयुष मंत्रालय अपनी सभी पैथियों को मजबूत करने की दिशा में कार्यरत है। जिसे आज दुनिया में वैकल्पिक चिकित्सा का नाम दिया जा रहा है,दरअसल प्राचीन चिकित्सा पद्धति वही हैं।
फेसबुक के इस फैसले से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भारत के वैकल्पिक चिकित्सा में बढ़ते कदम को दुनिया ठीक से पचा नहीं पा रही है। हो सकता है कि उस कदम को कमतर करने की यह साजिश हो।
इस बावत वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील कुमार कहते हैं कि यह ठीक है कि कुछ प्रोडक्ट की मार्केटिंग गलत तरीके से की जा रही है लेकिन इसके लिए भारतीय चिकित्सा पद्धति में प्रचलित शब्दावलियों को सीमित करना न्योचित नहीं है। उनकी बात को आगे बढाते हुए वरिष्ठ न्यूरो-सर्जन डॉ.मनीष कुमार कहते हैं कि कैंसर क्योर के नाम पर अमेरिका के लोग बहुत ठगे गए हैं साथ ही भारत में भी ठगे जा रहे हैं। इस लिहाज से फेसबुक का फैसला ठीक हो सकता है लेकिन अगर वह भारतीय पारंपरिक ज्ञान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की तो यह ठीक नहीं होगा।
1 comment
Bhut achchhi story