नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। पांरपरिक चिकित्सा के वैश्विक एकीकरण से स्वास्थ्य सेवा को सुगम और सुलभ बनाने का निरंतर प्रयास चल रहा है। आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा कहते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतर्राष्ट्रीय रोग वर्गीकरण (ICD-11) के 2025 अद्यतन की जो घोषणा की है, उससे उम्मीदें और बढ़ी हैं।
- इस अद्यतन में पारंपरिक चिकित्सा स्थितियों के लिए एक नया मॉड्यूल पेश किया गया है, जो आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी से संबंधित स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं की पारंपरिक प्रणालियों की व्यवस्थित ट्रैकिंग और वैश्विक एकीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह अपडेट आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों के लिए ICD-11 TM-2 के शुरू होने के बाद देश में कार्यान्वयन परीक्षण के लिए एक साल तक चले सफल परीक्षण और विचार-विमर्श के बाद आया है।
- ICD -11 TM 2 मॉड्यूल अब आधिकारिक तौर पर WHO के ICD-11 ब्लू ब्राउज़र पर जारी किया गया है।
- WHO के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य संबंधी ढांचे में पारंपरिक चिकित्सा के इस अभूतपूर्व समावेश से यह सुनिश्चित होता है कि आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों को आधिकारिक तौर पर दस्तावेजीकृत किया गया है और पारंपरिक चिकित्सा स्थितियों के साथ ICD-11 में वर्गीकृत किया गया है।
आयुष मंत्रालय का दृष्टिकोण
- आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आईसीडी-11 अपडेट 2025 का जारी होना पारंपरिक चिकित्सा, विशेष रूप से आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी के वैश्विक एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह अपडेट साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को बढ़ावा देता है, रोगी देखभाल को बेहतर करता है और राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल रणनीतियों में पारंपरिक चिकित्सा को शामिल करने का समर्थन करता है।
WHO का दृष्टिकोण
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्गीकरण एवं शब्दावली इकाई के टीम लीडर डॉ. रॉबर्ट जैकब ने कहा कि नए अपडेट के साथ आईसीडी-11 उपयोग में अधिक आसानी, बेहतर अंतर-संचालन और सटीकता प्रदान करता है, जिससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों और उनके द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले लोगों को लाभ होगा।
पारंपरिक चिकित्सा का महत्व
- पारंपरिक चिकित्सा लंबे समय से स्वास्थ्य सेवा का एक अनिवार्य घटक रही है, खासकर एशिया, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में जहां स्वदेशी प्रथाएं आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का पूरक हैं।
- आईसीडी-11 में श्पारंपरिक चिकित्सा स्थितियांश् मॉड्यूल की शुरूआत आधुनिक स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस कदम के लाभ
- डेटा संग्रहण में वृद्धिरू पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग की वैश्विक ट्रैकिंग को सक्षम बनाना और इसके अनुप्रयोग की व्यापक रिपोर्टिंग सुनिश्चित करना।
- साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को सुगम बनानारू राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल रणनीतियों में पारंपरिक चिकित्सा के एकीकरण का समर्थन करना और वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में इसके योगदान को सुनिश्चित करना।
- रोगी देखभाल में सुधार करनारू स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को अधिक समग्र उपचार योजनाओं के लिए नैदानिक निर्णय लेने में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को शामिल करने की अनुमति देना।
- वैश्विक तुलनात्मकता को बढ़ावा देनारू शोधकर्ताओं को आधुनिक चिकित्सा उपचारों के साथ-साथ पारंपरिक चिकित्सा की प्रभावकारिता का विश्लेषण करने के लिए एक फ्रेमवर्क प्रदान करना।
यह अपडेट पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है और यह इसके वैश्विक एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करता है और साक्ष्य-आधारित एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल नीतियों को सशक्त बनाता है, जो समग्र कल्याण को अपनाते हैं।