अजय वर्मा
पटना। शिशु मृत्युदर लंबे समय से गंभीर चिंता का विषय रही है। कुपोषण के साथ कई प्रकार की गंभीर और संक्रामक बीमारियों के चलते हर साल बड़ी संख्या में नवजात की मृत्यु हो जाती है। वैसे व्यापक टीकाकरण अभियान के चलते पिछले एक दशक में इसमें बेहतर सुधार आया है। बचपन की गंभीर-घातक बीमारियों से बचाने के साथ भविष्य में भी बच्चों को सुरक्षित रखने में वैक्सीन मददगार होते हैं। यूनिसेफ तो इसके लिए सक्रिय रही ही है, अब केंद्र सरकार ने भी खास अभियान चलाया है।
घर बैठे ही मिलेगा सर्टिफिकेट
केंद्र सरकार ने बच्चों के टीकाकरण के लिए CO-WIN की तर्ज पर U-WIN पोर्टल तैयार किया है। इस पर रजिस्ट्रेशन के बाद वैक्सीनेशन होगा। प्रयोग के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के 65 जिलों में इसे शुरू किया गया है। बिहार के पटना और सुपौल भी इसमें शामिल है। इस पोर्टल के माध्यम से टीकाकरण कराने पर पूरा डाटा ऑनलाइन हो जाएगा। घर बैठे ही प्रमाण-पत्र भी मिल सकेगा। केंद्र ने इसे यूनिवर्सल इम्यूनजेशन प्रोग्राम में शामिल किया है। इस व्यवस्था में सभी 65 जिलों में 3 से 4 सेंटर बने हैं।
बच्चों में कई रोगों का खतरा
बच्चे में खसरा के कारण मृ्त्यु का जोखिम अधिक होता है। इससे बचाने के लिए MMR वैक्सीन की दो डोज दी जाती है। यह वैक्सीन खसरा, मम्स और रूबेला जैसी जानलेवा बीमारियों के जोखिम से बचाने में मददगार है। इसी तरह हेपेटाइटिस-बी, ओरल पोलियो वैक्सीन, रोटावायरस वैक्सीन (गंभीर डायरिया के लिए) आदि को बहुत जरूरी माना गया है। पोलियो की बूंद तो घर-घर जाकर दी जा रही हैं।
भटकने की जरूरत नहीं
इस पोर्टल से अब बच्चों के टीकाकरण के लिए भटकने की जरूरत नहीं है। एक बार इस पर रजिस्ट्रेशन के बाद देश में कहीं भी टीका लगवाया जा सकता है। कार्ड खो जाने पर भी कोई समस्या नहीं होगी। पटना के प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एस.पी. विनायक कहते हैं कि 16 साल तक के बच्चों का अभिभावक के आधार और मोबाइल नंबर के सहारे रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। इस ट्रायल के दौरान आ रही तकनीकी दिक्कतों का भी समाधान हो रहा है। इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मियों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।