अच्छा नाश्ता और सही समय पर भोजन बचा सकता है बच्चों को डायबीटीज से
दीपिका शर्मा, मुंबई
यूं तो डायबीटीज 50 की उम्र के बाद होने वाली बीमारियों में गिनी जाती रही है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में बदलती जीवन शैली और खराब होती खाने की आदतों ने डायबीटीज की उम्र बेहद कम कर दी है। डॉक्टरों की मानें तो जहां पहले 40 से 65 की उम्र के लोगों में डायबीटीज सामने आती थी, आज 30 साल की उम्र में लोगों को डायबीटीज के सामने आने लगी है।
डायबीटीज के साथ जीना मुश्किल
गुरुवार को असोसिएशन ऑफ फिजिशन ऑफ इंडिया (एपीआई) और नोवो नॉर्डिक की तरफ से डायबीटीज पर जारी सर्वे रिपोर्ट के अनुसार डायबीटीज के साथ जीना लोगों के लिए बहुत सी समस्याएं पैदा करता है। मुंबई, दिल्ली और लखनऊ समेत आठ शहरों के 644 डायबेटिक लोगों पर हुए इस सर्वे में साफ हुआ है कि डायबीटीज से जूझते ज्यादातर लोग सामाजिक और व्यक्तिगत अकेलापन, प्रफशनल लाइफ में बढ़ोतरी में समस्या जैसे कई हालातों से उन्हें गुजरना पड़ता है। एपीआई के अध्यक्ष और जानेमाने एंडोक्रोनोलॉजिस्ट, डॉ़ शशांक जोशी का कहना है कि पिछले कुछ समय में डायबीटीज के मरीजों में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत चाइना के बाद दुनिया का दूसरा देश हैं, जहां डायबीटीज के सबसे ज्यादा पेशंट रहते हैं। अच्छा और सही समय पर भोजन की आदत को अपना कर काफी हद तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। डॉ़ शशांक का कहना है कि इस बार डब्ल्यूएचओ ने ‘हेल्दी-ब्रेकफास्ट’ की आदत बढ़ाने को डायबीटीज डे की थीम रखा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साउथ-ईस्ट एशिया रीजन की रीजनल डायरेक्टर, डॉ़ पूनम खेत्रपाल का कहना है कि भारत में लगभग साढ़े 6 करोड़ लोग डायबीटीज से पीड़ित हैं। डायबीटीज के मरीजों में हार्ट डिजीज, किडनी फेलियर और इंफेक्शन से होने वाले रोग जैसे टीबी, मलेरिया और एचआईवी का खतरा काफी बढ़ जाता है। बदलती और लगातार खराब होती जीवनशैली की वजह से यह बीमारी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में डायबीटीज जैसी बीमारी पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है।
साभारः नवभारत टाइम्स, मुंबई
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