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दरभंगा में एम्स की जमीन को लेकर कोई गेम तो नहीं?

अजय वर्मा

पटना। पटना के बाद बिहार के दूसरे एम्स के लिए दरभंगा के शोभन वाली जमीन अब फाइनल मानी जा रही है। सूबे की सरकार गदगद है। वजह यह कि जमीन शोभन वाली ही रहेगी। हाल ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का इस बारे में राज्य सरकार को पत्र आया है जिससे लगता है कि इस पर जारी गतिरोध अब समाप्त है। लेकिन कुछ बातें हैं जो इस निर्माण के भविष्य को लेकर चिंतित करती हैं। तो क्या यह माना जाये कि इस मसले पर दोनों सरकारें गेम खेल रही हैं?

मंजूरी से मुख्यमंत्री थे खुश

गेम प्वाइंट पर आने के पहले नवीन हलचल को जान लें। दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी खुश थे। कारण बताया कि दरभंगा के शोभन में एम्स बनाने को लेकर केंद्र से मंजूरी आ गई है। केंद्र ने पहले से निर्धारित दरभंगा एम्स की ऊंचाई को और बढ़ाने के लिए कहा है। हम उसको और बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे शहर का काफी विस्तार भी हो जाएगा।

केंद्र सरकार ने रखी कई शर्तें

बिहार सरकार को भेजे पत्र में केंद्र ने कई शर्त भी रखी हैं। ये हैं मिट्टीकरण, चारदिवारी, हाई एक्सटेंशन तार हटाने और सड़क चौड़ीकरण, बिजली की व्यवस्था जिसके बाद एम्स निर्माण संभव है। बिहार सरकार केंद्र की शर्तों को पूरा करने को तैयार है। अधिकारियों के अनुसार शर्तों को यथाशीघ्र पूरा करना मुश्किल है इसलिए राज्य सरकार जवाबी पत्र लिखकर केंद्र से और समय मांगेगी। यह चिह्नित स्थल ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर से मात्र तीन किलोमीटर, आमस-दरभंगा फोरलेन से पांच किलोमीटर और दरभंगा एयरपोर्ट से 10 किलोमीटर की दूरी पर है।

अटका क्यों और निबटा कैसे

बात इसी साल जून के आसपास की है। केंद्र शोभन की जमीन लेने से साफ मुकर गयी थी। वजह बतायी थी उसका लो लैंड होना और जलजमाव का क्षेत्र होना। केंद्र की तकनीकी समिति की रिपोर्ट के हवाले से मंत्रालय ने कहा था कि इस जमीन की मिट्टी की प्रकृति श्रिंक करने वाली है यानी सिकुड़ने वाली जिस पर अस्पताल बनाना खतरे से कम नहीं है। सवाल यह कि इन बीच के महीनों में जमीन का यह नेचर बदल गया? सवाल तो बनता है कि कैसे केंद्र सरकार अपनी कमेटी की जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर रजामंद हो गई? क्या यह गेम है या पिछली रिपोर्ट को नकारने के पीछे कोई राजनीतिक मजबूरी? देर-सबेर वक्त तो बतायेगा ही। चिंता यह है कि किसी मरीज की जान से खिलवाड़ न हो।

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