नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। दुबई में आयोजित COP 28 समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन को गंभीर समस्या बताया। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन में 45 फीसद की कमी लाने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने भारत की मेजबानी में अगला सम्मेलन आयोजित कराने का प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने कहा कि वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर पर जोर दिया जा रहा है। वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए सबके हितों की सुरक्षा बहुत जरूरी है।
मेजबानी का प्रस्ताव दिया
पीएम मोदी ने COP 33 सम्मेलन भारत में कराए जाने का प्रस्ताव दिया और कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में सबकी भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी होने के बावजूद ग्लोबल कार्बन एमिशन में हमारी हिस्सेदारी चार प्रतिशत से भी कम है। उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन का शेयर बढ़ा कर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। उन्होंने कहा कि हम 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य की ओर भी बढ़ते रहेंगे। वरना यह जलवायु परिवर्तन का कारण बनता रहेगा।
जलवायु परिवर्तन से भारत को नुकसान
इस बीच डेलावेयर विश्वविद्यालय के जलवायु केंद्र ने अपनी नई रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 2022 में जलवायु परिवर्तन के चलते भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को आठ फीसद का नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे में यदि भारत पर जलवायु परिवर्तन की मार न पड़ रही होती तो उसके जीडीपी में आठ फीसदी का इजाफा हो सकता था।