नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। टीकाकरण के सहारे अमेरिका ने बच्चों में चिकनपॉक्स जैसी बीमारी पर काबू पा लिया है। वहां 1995-2019 तक 25 सालों के डेटा से इसका पता चला है। वयस्कों में दाद के मामलों में भी उतनी वृद्धि नहीं हुई जितनी आशंका थी। अमेरिका ने दवा का पहला डोज 1996 में दिया था। 2023 तक 90 फीसद तक वैक्सीनेशन हो चुका था।
ब्रिटेन में भी बचपन से टीकाकरण पर जोर
इस सफलता को देखते हुए ब्रिटेन सरकार ने घोषणा की कि टीकाकरण और प्रतिरक्षण पर संयुक्त समिति (JCVI) ने सिफारिश की है कि चिकनपॉक्स (वैरिसेला) के खिलाफ एक टीका को नियमित बचपन टीकाकरण कार्यक्रम में जोड़ा जाना चाहिए। यह टीका सभी बच्चों को 12 और 18 महीने की उम्र में दो खुराक में दिया जाना है। वैक्सीन लगाने पर अंतिम निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है। वैसे बच्चों में चिकनपॉक्स अक्सर हल्का होता है। इसमें बीमारी ठीक होने पर भी वायरस शरीर में निष्क्रिय रहता है और विशेष रूप से वयस्कों में हर्पीस जोस्टर (दाद) का कारण बनने के लिए दोबारा एक्टिव हो सकता है।
टीकाकरण के बाद नहीं बढ़े मामले
अमेरिका के अध्ययन में कहा गया है कि जैसे-जैसे टीका लगवाने वाले बच्चे बूढ़े होते जाएंगे, वयस्कों में दाद की दर में गिरावट आने की उम्मीद है। जेसीवीआई ने कहा कि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक मॉडलिंग अध्ययन के अप्रकाशित परिणामों से पता चला कि दाद से सुरक्षा की अवधि 20 साल नहीं थी, बल्कि लगभग तीन साल होने की संभावना थी। डेटा के मुताबिक अमेरिका में शुरूआत के बाद इस टीके ने 91 मिलियन से अधिक चिकनपॉक्स के मामलों, दो लाख 38 हजार लोगों को अस्पताल में भर्ती होने और लगभग दो हजार मौतों को रोका है।