नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 7वां आयुर्वेद दिवस ‘हर दिन हर घर आयुर्वेद’ की थीम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर ‘द आयुर्वेदिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया’, ‘द आयुर्वेदिक फॉर्म्युलारी ऑफ इंडिया’ पर एक पुस्तक का विमोचन किया गया। औषधीय पौधों के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता सृजित करने के लिए मंत्रालय द्वारा अष्वगंधा विशिष्ट राष्ट्रीय अभियान लॉन्च किया गया। पांच लघु वीडियो प्रतियोगिताओं के प्रथम पुरस्कार विजेताओं को केंद्रीय आयुष मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सम्मानित किया गया।
आयुर्वेद रोग निवारण विज्ञान
इस मौके पर आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि आयुर्वेद एक रोग निवारण विज्ञान है। यह एक प्राचीन ज्ञान है और हमारी शोध परिषदें आयुष क्षेत्र में प्रभावशाली शोध कार्य कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हर दिन हर घर आयुर्वेदिक कैंपिंग का उद्देश्य आयुर्वेद और इसकी क्षमता को जन-जन तक पहुंचाना है।
बीमारी की रोकथाम प्रथम कार्य
अर्जुन मुंडा ने कहा-आयुर्वेद भारत की प्राचीन परंपरा और संपदा है। वनों में रहने वाले लोगों के सहयोग से आयुर्वेद का पोषण किया जा सकता है। आयुर्वेद ही एक ऐसा चिकित्सा विज्ञान है जो बीमारी से रोकथाम की बात करता है, बीमार होने के बाद उपचार की नहीं।
30 देशों में आयुर्वेद को मान्यता
डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने देश में स्वास्थ्य की आयुष प्रणाली को गति प्रदान की है और अब आयुर्वेद को 30 देशों में मान्यता प्राप्त हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि आयुष का वर्तमान टर्नओवर 18.1 अरब डॉलर है।
अभियान को व्यापक समर्थन
प्रो. तनुजा नेसारी ने कहा कि ‘आई सपोर्ट आयुर्वेद’ अभियान को सभी लोगों से असीम समर्थन प्राप्त हुआ है और पिछले 6 सप्ताह तक चलने वाले इस दीर्घावधि कार्यक्रम में आयुर्वेद दिवस पर आधारित विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित विविध गतिविधियों में 1.7 करोड़ से अधिक लोगों ने सहभागिता की और 56 लाख से अधिक लोगों ने योगदान दिया।
दिग्गजों की उपस्थिति रही
समारोह में जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा; आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल; विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी; आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई; आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार झा, आयुष मंत्रालय के विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक और एआईआईए की निदेशक प्रो. तनुजा मनोज नेसारी के साथ-साथ विदेशी दूतावासों और WHO-SERO के प्रतिनिधि भी शामिल थे।