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चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए  एकेटीयू ने बनाया सुरक्षा कवच

कोरोना के इस आपात दौर में चिकित्सकों एवं चिकित्सकीय सेवाओं में लगे हुए कर्मचारियों की सुरक्षा का प्रश्न गंभीर होता जा रहा है। ऐसे में एकेटीयू का नया अनुसंधान नई उम्मीद लेकर आया है। भारत में चिकित्सकों की सुरक्षा को लेकर सरकार ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित पोशाक उपकरण बनाने के लिए सक्रिय दिख रही है। इस स्थिति को देखते हुए एकेटीयू की यह पहल कोरोना से लड़ने में भारत को और मजबूत कर सकती है।

आशुतोष कुमार सिंह
Twitter handle : @ashutosh_swasth
नई दिल्ली, 4 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): कोरोना वायरस के संक्रमण की आपात स्थिति से निपटने के लिए भारतीय शोधकर्ताओं ने वेंटिलेटर स्प्लिटर एडॉप्टर एवं थ्रीडी प्रिंटेड फेस शील्ड तैयार की है। चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा और मरीजों को उपचार मुहैया कराने में इन दोनों उत्पादों का निर्माण काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इन दोनों उत्पादों को लखनऊ स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) और एसजीपीजीआई  के शोधकर्ताओं ने मिलकर तैयार किया है।
कोरोना के इस आपात दौर में चिकित्सकों एवं चिकित्सकीय सेवाओं में लगे हुए कर्मचारियों की सुरक्षा का प्रश्न गंभीर होता जा रहा है। ऐसे में एकेटीयू का नया अनुसंधान नई उम्मीद लेकर आया है। भारत में चिकित्सकों की सुरक्षा को लेकर सरकार ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित पोशाक उपकरण बनाने के लिए सक्रिय दिख रही है। इस स्थिति को देखते हुए एकेटीयू की यह पहल कोरोना से लड़ने में भारत को और मजबूत कर सकती है।
आज जब कोरोना के मरीज दिन-दूनीऔर रात चौगुनीरफ्तार से बढ़ रहे हैं, तो ऐसे में भारत को वेंटिलेटर एवं फेस शील्ड की बड़े पैमाने पर जरूरत पड़ सकती है।वेंटिलेटर स्प्लिटर एडॉप्टर के द्वारा एक वेंटिलेटर से चार लोगों को वेंटिलेटर की सुविधा प्रदान की जा सकती है। वेंटिलेटर स्प्लिटर एडॉप्टर को टेस्ट करने एसजीपीजीआई भेजा गया है।
वेंटिलेटर स्प्लिटर एडॉप्टर एवं थ्रीडी प्रिंटेड फेस शील्ड को एकेटीयू परिसर में स्थित थ्रीडी प्रिंटिंग लैब में तैयार किया गया है। इनके उत्पादन में एकेटीयू द्वारा बायोडिग्रेडेबल (पीएलए) मैटेरियल का उपयोग किया जा रहा है। चिकित्सकों के साथ-साथ कोरोना से अग्रिम पंक्ति में रहकर लड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह थ्रीडी प्रिंटेड फेस शील्ड सुरक्षा कवच बन सकता है।
एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने बताया कि “विश्वविद्यालय की थ्रीडी प्रिंटिंग लैब में जरूरत पड़ने पर बड़े पैमाने वेंटिलेटर स्प्लिटर एडॉप्टर एवं थ्रीडी प्रिंटेड फेस शील्ड का उत्पादन किया जा सकता है। यह थ्रीडी प्रिंटेड फेस शील्ड डॉक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ, पुलिसकर्मियों एवं अन्य आवश्यक सेवाओं के कर्मियों को सुरक्षित रखने में सहायक है।” उन्होंने कहा- वर्तमान में पूरे देश में वेंटिलेटर्स की आपूर्ति एक चुनौती है। ऐसे में यह स्प्लिटर एडाप्टर वेंटिलेटर की क्षमता बढ़ाने में वरदान सिद्ध हो सकता है।
आज जब पूरी दुनिया में वेंटिलेटर को लेकर जो अफरा-तफरी का माहौल है ऐसे में एकेटीयू द्वारा निर्मित वेंटिलेटर स्प्लिटर एडॉप्टर से कोरोना से लड़ने की ताकत मिली है। भारत की इस उपलब्धि को और विस्तारित करने की जरूरत है ताकि कोविड-19 से निपटने में सहूलियत हो सके। (इंडिया साइंस वायर)
 

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