नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। ‘स्वस्थ भारत’ के नवम वर्षगांठ के मौके पर ऑनलाइन कवि संध्या का आयोजन किया गया। इसका ऑनस्क्रीन संचालन वरिष्ठ स्तंभकार अमित त्यागी कर रहे थे। करीब डेढ़ घंटे की इस काव्य एवं संगीत संध्या में कई कवियों ने गीत-गजलों से समां बांधा।
प्रकृति से दूरी, स्वास्थ्य से दूरी
आयोजन की शुरुआत में स्वस्थ भारत की रूपरेखा रखते हुए अमित त्यागी ने कहा कि कोरोना काल और उसके बाद से हमने देखा है कि जितना हम प्रकृति से दूर जा रहे हैं, उतना ही हम अपने स्वास्थ्य से दूर जा रहे हैं। एक तरफ बेहतर स्वास्थ्य है तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य के नाम पर बड़ा बाज़ार है। हमें तय यह करना है कि हमें स्वस्थ रहने की तरफ बढ़ना है या स्वास्थ्य के बाज़ार में उनके हाथों खेलना है।
कविता की बही बयार
आगे कवियत्री भूमिका जैन ने सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने अपनी अलौकिक वाणी से संदेश देते हुए कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य पर स्वस्थ भारत अभियान द्वारा किया गया कार्य एवं सरकार की शौचालय योजना एक उल्लेखनीय कार्य रहा है। कवि बृजेश ने अपने शानदार मुक्तक से श्रोताओं का ध्यान आकर्षित किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे गीतकार शेखर अस्तित्व ने ‘कर हर मैदान फतेह’ की तर्ज पर स्वस्थ भारत अभियान से जुड़े लोगों से आवाहन किया कि अब उन्हें बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके लिए वह स्वयं आगे बढ़कर शिक्षा अभियान का नेतृत्व करने को तैयार हैं।
संगीत संध्या भी
कवि सम्मेलन के अंत में संगीत संध्या की अध्यक्षता करते हुए सरोज सुमन ने मैथिली शरण गुप्त की रचना के माध्यम से अपना संदेश दिया। सरोज सुमन पहले भी स्वस्थ भारत अभियान के कार्यक्रमों में संगीत संध्या का नेतृत्व करते रहे हैं। चित्रा त्यागी एवं प्रियंका सिंह ने स्वस्थ भारत यात्रा के संस्मरण याद किए। धीमेश द्विवेदी ने संस्था के कार्यों के बारे में बताया। अजय वर्मा ने स्वास्थ्य संसद के विषय को पटल पर रखा। कार्यक्रम का संचालन कर रहे अमित त्यागी ने अपनी चार पंक्तियों से बात रखकर समापन किया-आहत अरुणिमा रोती है। दृढ़ता ही तो नम होती है। नियति जब लेती हो परीक्षा, सहनशीलता पथ होती है।