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पर्यावरण संरक्षण में बिहार देश से 30 साल आगे

बिहार दिवस के अवसर पर बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा दिल्ली में परिचर्चा का आयोजन

नई दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। बिहार पर्यावरण संरक्षण के मामले में देश से 30 साल आगे है। भारत ने अपने कार्बन उत्सर्जन को 2070 तक नेट-जीरो करने का लक्ष्य तय किया है। ग्लासगो में पिछले साल हुए जलवायु सम्मेलन कॉप 26 में भारत के द्वारा इसकी घोषणा की गई थी। लेकिन, बिहार अपने कार्बन उत्सर्जन को 2040 तक ही नेट-जीरो करने की योजना बना रहा है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए जल-जीवन-हरियाली जैसा बड़ा अभियान शुरू करने वाला बिहार देश का पहला राज्य है। संयुक्त राष्ट्र के कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘ग्लोबल क्लाइमेट लीडर‘ पुकारा गया और ‘जल-जीवन-हरियाली‘ अभियान को दुनिया के लिए पथ-प्रदर्शक माना गया।‘‘

बिहार दिवस पर परिचर्चा

उक्त बातें यूनाइटेड नेशन एनवायर्नमेंट प्रोग्राम के भारत प्रमुख एवं पर्यावरणविद् अतुल बगई ने हाल में ‘बिहार दिवस‘ के अवसर पर दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में ‘बिहार का गौरवशाली अतीत एवं वर्तमान में विकास के पथ पर अग्रसर बिहार‘ विषय पर आयोजित परिचर्चा में कही। परिचर्चा का आयोजन बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा किया गया था। इसमें बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग तथा जल संसाधन विभाग के मंत्री श्री संजय कुमार झा मुख्य अतिथि थे।

दुनिया ने सराहा मुख्यमंत्री को

पर्यावरणविद् अतुल बगई ने जानकारी दी कि दिसंबर 2021 में पटना में एक मीटिंग हुई थी, जिसमें 20 विभागों के प्रमुख सचिव उपस्थित थे। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिया कि कार्बन उत्सर्जन के मामले में बिहार को 2040 तक नेट जीरो करने के लिए एक कारगर नीति बनाएं। बगई ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न संकट पूरी दुनिया और मानव जाति के लिए गंभीर चुनौती है। संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर 24 सितंबर 2020 को हुए इंटरनेशनल राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने के लिए भारत से सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रित किया था। इस कॉन्फ्रेंस में उन्हें ‘ग्लोबल क्लाइमेट लीडर‘ कहा गया और ‘जल-जीवन-हरियाली‘ अभियान को दुनिया के लिए पथ-प्रदर्शक माना गया। इससे पहले नवंबर 2019 में बिहार दौरे पर आये बिल गेट्स ने भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विजन तथा जल-जीवन-हरियाली अभियान की मुक्तकंठ से तारीफ की थी।

मिशन मोड में जल जीवन हरियाली योजना

श्री अतुल बगई ने कहा कि जल संरक्षण और हरित आवरण में वृद्धि के लिए ‘जल-जीवन-हरियाली‘ अभियान के तहत 11 बिंदुओं पर आधारित कार्ययोजना तैयार कर उसे राज्यभर में मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। इसके तहत जल संसाधनों को पुनर्जीवित किया जा रहा है और हर साल करोड़ों की संख्या में पेड़ लगाये जा रहे हैं। इस अभियान पर चरणबद्ध तरीके से कुल 24,524 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। बिहार के सस्टेनेबल डेवलपमेंट मॉडल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा हरित आवरण बढ़ाने, जल के संरक्षण और प्रबंधन तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए उठाये जा रहे कदम अत्यंत सराहनीय हैं। झारखंड से बिहार के बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण 9 प्रतिशत रह गया था। वर्ष 2012 में हरियाली मिशन के बाद वृक्षारोपण की गति बढ़ाने से अब राज्य का हरित आवरण 15 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। सरकार ने इसे 17 प्रतिशत से अधिक करने का लक्ष्य रखा है।

बिहार मॉडल सबके लिए नजीर

परिचर्चा में मुख्य अतिथि बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क तथा जल संसाधन मंत्री श्री संजय कुमार झा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मॉडल देश-दुनिया के लिए नजीर है। नीतीश कुमार की दृष्टि स्पष्ट है- पृथ्वी पर जब तक जल और हरियाली है, तभी तक जीवन सुरक्षित है।

सरकारी अस्पतालों पर भरोसा बढ़ा

पूर्व केंद्रीय स्वास्थ सचिव एवं बिहार काडर के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी सीके मिश्रा ने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की दिशा में व्यापक प्रयास किये गये हैं। वर्ष 2006 में कराये गये एक सर्वेक्षण में पता चला था कि बिहार के प्रखंड स्तर के अस्पतालों में प्रतिमाह औसतन 39 लोग ही इलाज कराने पहुंचते थे। सुविधाओं में निरंतर वृद्धि के कारण अब प्रखंड स्तर के अस्पतालों में हर माह औसतन 10 हजार से अधिक लोग अपना इलाज करा रहे हैं।

कृषि क्षेत्र में भी सफलता

वरिष्ठ पत्रकार एवं द प्रिंट के राजनीतिक संपादक डीके सिंह ने कहा कि बिहार जैसी सघन आबादी वाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए कृषि मुख्य सहारा है, जो खाद्य सुरक्षा, रोजगार और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र की औसत वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक रही है। इस दौरान प्रमुख अनाजों के उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए बिहार को केंद्र सरकार से पांच बार प्रतिष्ठित ‘कृषि कर्मण पुरस्कार‘ हासिल हो चुका है।

देश का ग्रोथ इंजन बिहार

जेएनयू में एसोसिएट प्रोफेसर अमिताभ सिंह ने कहा कि बिहार देश का सबसे सघन आबादी वाला प्रदेश में है। वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता और ढेर सारी चुनौतियों के बावजूद, पिछले डेढ़ दशक में बिहार की औसत विकास दर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक रही है और इसे ‘देश का ग्रोथ इंजन‘ कहा जाने लगा है। अतिथियों का स्वागत सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, बिहार सरकार के निदेशक कंवल तनुज ने किया। समारोह में अनेक वरिष्ठ पत्रकार, प्रोफेसर एवं बुद्धिजीवी मौजूद थे।

सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवंबर 2005 में बिहार की सत्ता संभाली थी। तब से अब तक कुल 196 महीनों में नीतीश कुमार के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में बिहार के नवनिर्माण के प्रतीक के रूप में परिचर्चा से पहले मंत्री श्री संजय कुमार झा एवं अन्य अतिथियों ने मिलकर 196 रंग-बिरंगे हीलियम गुब्बारे हवा में छोड़े। बताया गया कि ये गुब्बारे नये बिहार की विकास की उड़ान के प्रतीक हैं। इस मौके पर गायक सत्येंद्र संगीत एवं अन्य कलाकारों ने बिहार के राज्यगीत के गायन के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किया।

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