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डेरा ब्यास की दरियादिली को प्रणाम कीजिए

कोरोना-काल में डेरा ब्यास लाखों लोगों को भोजन की व्यवस्था करा रहा है। पूरी रिपोर्ट लेकर आईं हैं कपूरथला से पूजा अरोड़ा

 
नई दिल्ली एसबीएम विशेष
भारत तप और त्याग की भूमि है, यहीं पर ही महर्षि दाधीच ने अपना सर्वस्व दान कर दिया था, त्याग की इस भूमि पर डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास कोरोना महामारी से आये संकट से निपटने में अहम् भूमिका अदा कर रहा है। डेरा ब्यास के देश भर में 250 से अधिक केंद्रों में भोजन के पैकेट तैयार करने के साथ साथ अन्य राज्यों के मजदूरों को आश्रय भी दिया हुआ है।
अमृतसर-दिल्ली मुख्य मार्ग पर मुख्य केंद्र डेरा बाबा जैमल सिंह (डेरा ब्यास) से रोजाना अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर जिला के लिए 1.25 लाख भोजन के पैकेट (सुबह, दोपहर, शाम अलग अलग) तैयार करके भेजे जा रहे हैं। डेरा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार देश भर में 12 लाख से अधिक लोगों को डेरा की ओर से खाना मुहैया करवाया जा रहा है।

कहीं आप भी तो कोरोना के सपने नहीं देखते?

अगर मदद करने का हौंसला आपके दिल में हो तो आप किसी भी परिस्थिति में लोगों की मदद के लिए तैयार रहते हैं, इसी को मन में रखते हुए महामारी के इस दौर में बिना अपनी परवाह किये अपने गुरु डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों के निर्देशों पर हजारों की तादाद में संगत लंगर पकाने और उन्हें वितरित करने की जिम्मेदारी तहेदिल से निभा रही है। एक ख़ास बात यह की डेरा की ओर से खुद सीधे तौर पर लोगों तक पहुँच नहीं की जा रही बल्कि प्रशासन के माध्यम से ही खाना जरूरतमंदों तक पहुँच रहा है।
पंजाब के हर जिले के दो प्रमुख केंद्रों में लंगर तैयार हो रहा है, इस लंगर में  नाश्ते में दिनों के हिसाब से मिस्सी रोटी/पूरी/परांठा और दोपहर व रात के खाने में रोटी, पुलाव और अचार पैक करके भेजा जा रहा है। हर केंद्र को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गयी है। दोआबा के एक केंद्र से सिर्फ अचार ही तैयार करके रोजाना अलग अलग केंद्रों को भेजा जा रहा है। डेरा के लंगर में लगी हुई दो मशीन एक घंटे में 25,000 से अधिक रोटियां तैयार कर रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पिछले दिनों हुई एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने इस महामारी से निपटने में हर तरह का सहयोग देने की बात कही थी। लॉकडाउन पर जब पंजाब-हरियाणा में काम करने वाले हजारों मजदूरों को जब दिल्ली बॉर्डर सील होने के कारन आगे जाने नहीं दिया गया था तो सभी मजदूरों को करनाल के सत्संग केंद्र में आश्रय दिया गया था। इस समय करीब 11 हजार से अधिक लोग अलग अलग सत्संग केंद्रों में आश्रय लिए हुए हैं।
स्वछता का रखा जाता है ख़ास ख्याल
लंगर तैयार करने के लिए स्वछता का विशेष ध्यान रखा जाता है। सत्संग घर में दाखिले के समय हाथों को सेनिटाइज़ किया जाता है। इसके साथ हाथों में ग्लव्स और सिर पर कवर के बाद ही लंगर में दाखिला मिलता है। लंगर तैयार करने के लिए सांगत को लाने के लिए गाड़ियों में भी सोशल डिस्टैन्सिंग का ख्याल रखते हुए दो-तीन सवारियां ही लाई जाती हैं।
बाबा गुरिंदर सिंह के निर्देशानुसार लंगर पूरी श्रद्धा के साथ नाम जपते हुए तैयार किया जाता है। लंगर तैयार करने वाले सत्संग घरों में विशेष कमेटियां बना कर राशन व अन्य सामग्री की उपलब्धता करवाई जाती है।
 

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