स्वस्थ भारत मीडिया
नीचे की कहानी / BOTTOM STORY

अंडर ट्रायल दवा का कमाल, बची महिला की जान

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। ट्रायल के बाद बनी दवा तो कई बार मरीज का भरोसा तोड़ देती है लेकिन एक ऐसी दवा ने चमत्कार किया जो है तो भारत की पर उसका क्लीनिकल ट्रायल यूरोप में चल रहा है।

सर्जरी के बाद हालत बिगड़ी

दरअसल एक महिला ने नेपाल से आकर लखनऊ में पेट की चर्बी हटाने के लिए सर्जरी कराई। कुछ ही दिन बाद महिला को बुखार आ गया और धीरे-धीरे फेफड़ों के इंफेक्शन में बदल गया। आगे के दिनों में जब लिवर और किडनी पर भी प्रभावित होने लगा तो उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख दिया गया। वहां जांच में पता चला कि उसकी हालत के पीछे सूडोमोनास एरुगिनोसा नाम का ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया जिम्मेदार था। इस पर अधिकतर दवाओं का असर नहीं होता है। कोलिस्टिन चली किंतु तीन हफ्ते बाद उसका असर भी खत्म हो गया। यानी उसके लिए कोई दवा नहीं बची। ऐसे में महिला को लोकल अस्पताल से मेदांता में शिफ्ट किया गया।

दवा की जानकारी रिसर्च पेपर से

मीडिया खबरों के अनुसार मेदांता में क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. दिलीप दुबे ने WCK5222 के बारे में रिसर्च पेपर में पढ़ा था। उन्होंने वॉकहार्ट रिसर्च सेंटर को फोन कर ये दवा मांगी। उनकों बताया गया कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की मंजूरी पर सिर्फ मरीज का परिवार ही सहानुभूति के आधार पर इसकी मांग कर सकता है। सारी प्रक्रिया के बाद इस दवा के इस्तेमाल की अनुमति मिली। मरीज को 10 दिन का मुफ्त कोर्स दिया गया। डॉ. दुबे कहते हैं कि मरीज को 10 दिन तक दवा खिलाई लेकिन उन्हें 5वें दिन ही बैक्टीरिया से राहत मिल गई थी। आराम होने पर मरीज को डिस्चार्ज किया गया। इसके बाद 5 बार मेडिकल चेकअप हुआ और वह पूर्ण स्वस्थ हो गयी। जानकारी हो कि पिछले 10 साल से इस दवा पर अनुसंधान चल रहा है।

Related posts

चेन्नई के गुरुद्वारे में स्वस्थ भारत यात्रियों का हार्दिक स्वागत

Ashutosh Kumar Singh

सीडीआरआई की वैज्ञानिक परीक्षण सुविधा को मिला भरोसे का प्रमाण पत्र

Ashutosh Kumar Singh

कोविड-19 के आर्थिक दुष्परिणा का ईलाज है ग्रामीण अर्थव्यवस्था

Ashutosh Kumar Singh

Leave a Comment