स्वस्थ भारत मीडिया
आयुष / Aayush काम की बातें / Things of Work बचाव एवं उपचार / Prevention & Treatment

नींबू-वंशीय फल चकोतरा में मिले मधुमेह-रोधी तत्व

उमाशंकर मिश्र
Twitter handle : @usm_1984
नई दिल्ली, 25 मई (इंडिया साइंस वायर) : भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक ताजा शोध में नींबू-वंशीय फल चकोतरा में नरिंगिन नामक तत्व की पहचान की गई है, जो रक्त में उच्च ग्लूकोज स्तर (हाई ब्लड शुगर) के लिए जिम्मेदार एंजाइम को नियंत्रित करने में उपयोगी हो सकता है। इस अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार, चकोतरा फल के उपयोग से कई तरह के फूड फॉर्मूलेशन विकसित किए जा सकते हैं, जो मधुमेह रोगियों के लिए खासतौर पर लाभकारी हो सकते हैं।
मैसूर स्थित केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन के दौरान खास वैज्ञानिक विधियों से चकोतरा फल के विभिन्न भागों के अर्क को अलग किया गया और फिर विभिन्न परीक्षणों के जरिये उनमें मौजूद गुणों का पता लगाया गया है। इस अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका करंट साइंस के ताजा अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
मधुमेह के शुरुआती चरण में मरीजों के उपचार के लिए भोजन के बाद हाई ब्लड शुगर को नियंत्रित करना चिकित्सीय रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा है। इसके लिए कार्बोहाइड्रेट के जलीय अपघटन के लिए जिम्मेदार एंजाइमों को बाधित करने की रणनीति अपनायी जाती है। रक्त में ग्लूकोज के बढ़ते स्तर को धीमा करने के लिए इन एंजाइमों के अवरोधकों का उपयोग किया जाता है। नरिंगिन जैविक रूप से सक्रिय एक ऐसा ही एंजाइम है, जो कार्बोहाइड्रेट के जलीय अपघटन से जुड़ी गतिविधियों के अवरोधक के तौर पर काम करता है।
सीएफटीआरआई से जुड़ीं प्रमुख शोधकर्ता डॉ एम.एन. शशिरेखा ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “नरिंगिन के अलावा, चकोतरा में पाए गए अन्य तत्व भी लाभकारी हो सकते हैं। चकोतरा का स्वाद कुछ ऐसा होता है कि इसे सीधा खाना कठिन होता है। सूखे हुए चकोतरा का पांच ग्राम पाउडर 200 ग्राम चपाती में मिलाकर करें तो यह मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी हो सकता है। बेकरी उत्पादों में भी इसके पाउडर का उपयोग किया जा सकता है।चकोतरा के स्वास्थ्य संबंधी फायदों को देखते हुए इसके उत्पादन और इस फल से बनने खाद्य उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।”
पारंपरिक एवं हर्बल चिकित्सा पद्धति में नींबू-वंशीय फलों की व्याख्या मधुमेह-रोधी दवाओं के स्रोत के रूप में की गई है, जिसमें चकोतरा भी शामिल है। रूटेसी पादप समूह से जुड़ा चकोतरा भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्वी एशिया मूल का नींबू-वंशीय फल है। पूरी तरह विकसित होने पर इसके फल का वजन एक से दो किलोग्राम होता है। हालांकि, संतरा, मौसमी, नारंगी और नींबू जैसे दूसरे नींबू-वंशीय फलों के वैश्विक उत्पादन के मुकाबले चकोतरा का उत्पादन सबसे कम होता है।
मधुमेह की सिंथेटिक दवाओंके संभावित दुष्प्रभावों के कारणकई बार हर्बल दवाओं के उपयोग की सलाह दी जाती है। चकोतरा जैसे फलों में मधुमेह-रोधी तत्वों की खोज उसी से प्रेरित है। चकोतरा में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी, ट्यूमर-रोधी, मधुमेह-रोधी और मोटापा-रोधी गुण पाए जाते हैं। पुराने साहित्य में भी चकोतरा के गुणों की व्याख्या भूख बढ़ाने वालेपेट के टॉनिक, बुखार, अनिद्रा, गले के संक्रमण तथा हृदय के लिए उपयोगी फल के रूप में की गई है।
अध्ययनकर्ताओं में डॉ शशिरेखा अलावा एस.के. रेशमी, एच.के. मनोनमनी औरजे.आर. मंजूनाथ शामिल थे।
 
सोर्सः (इंडिया साइंस वायर)
 

Related posts

Spinning of charkha is a harbinger of psychological and emotional well-being.

Ashutosh Kumar Singh

मोदी सरकार के चार सालः टीकाकरण की दिशा में सार्थक पहल

कोविड-19 से लड़ने में युद्ध स्तर पर जुटे सीएसआईआर के वैज्ञानिक

Ashutosh Kumar Singh

Leave a Comment