नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। आयुर्वेद के उपायों से किशोरियों के पोषण में सुधार के लिए आयुष मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। मिशन उत्कर्ष के तहत पांच जिलों में आयुर्वेद से किशोरियों में एनीमिया नियंत्रण के लिए यह पहल की गई। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी की उपस्थिति में किए गए।
पांच जिलों में सघन अभियान
दोनों मंत्रालयों ने संयुक्त रूप से निर्णय लिया है कि पहले चरण में पांच राज्यों के पांच आकांक्षी जिलों असम के धुबरी, छत्तीसगढ़ के बस्तर, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और राजस्थान के धौलपुर में किशोरियों (14-18 वर्ष) में एनीमिया की स्थिति में सुधार लाने पर ध्यान दिया जा सकता है। जहां एनीमिया का औसत प्रसार लगभग 69.5 प्रतिशत है, वहां लगभग 95 हजार किशोरियों के पोषण में सुधार हो सकेगा। इस प्रोजेक्ट में इन पांच जिलों के लगभग 10 हजार आंगनवाड़ी केंद्रों को शामिल किया जाएगा।
एनीमिया से किशोरियों में कई रिस्क
इस अवसर पर सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि एनीमिया मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए दोनों मंत्रालयों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। श्रीमती स्मृति ईरानी ने इस बात पर जोर दिया कि ICMR जैसे संस्थानों से प्राप्त प्रमाणों द्वारा समर्थित आयुष प्रणाली शुरू करने से एनीमिया से निपटने का किफायती समाधान मिलेगा, जिससे दुनिया अब तक अनभिज्ञ थी। आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि किशोरावस्था में एनीमिया के कारण शारीरिक और मानसिक क्षमता कम हो जाती है तथा कार्य और शैक्षिक प्रदर्शन में एकाग्रता कम हो जाती है। लड़कियों में यह भविष्य में सुरक्षित मातृत्व के लिए भी एक बड़ा खतरा प्रस्तुत करता है।