स्वस्थ भारत मीडिया
नीचे की कहानी / BOTTOM STORY

खतरे के दायरे में आयुर्वेदिक दवा भी?

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। अभी तक भारत निर्मित एलोपैथी दवाओं के जानलेवा साबित होने के कई मामले दूसरे देषों से आते रहे हैं। अब आयुर्वेद की दवा से भी रिएक्षन होने का मामला सामने आया है। मामला कनाडा का है। हालांकि भारत में अब तक ऐसा मामला नहीं आया है।

मरीज के रक्त में मिला अत्यधिक सीसा

एक हेल्थ वेबसाइट के मुताबिक 39 वर्षीय महिला को पेट दर्द, कब्ज, मतली और उल्टी के लिए छह सप्ताह में तीन बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले उसे एनीमिया और संभावित गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में पता चला कि वह प्रजनन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवा ले रही थी। कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल (CMAJ) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके रक्त में सीसा का स्तर 55-g@dL था, जो सामान्य स्तर से कम था। इसमें कहा गया था कि उनके रक्त में सीसा का स्तर सामान्य से 27 गुना ज्यादा अधिक था।

आयुर्वेद भारत की पारंपरिक पद्धति

आयुर्वेदिक चिकित्सा भारत की एक पारंपरिक समग्र उपचार प्रणाली है, जो शरीर, मन और आत्मा में संतुलन प्राप्त करने पर केंद्रित है। यह भलाई को बढ़ावा देने और बीमारी को रोकने के लिए प्राकृतिक उपचार, जीवनशैली प्रथाओं और व्यक्तिगत दृष्टिकोण पर जोर देता है। CMAJ में प्रकाशित केस स्टडी से पता चलता है कि आयुर्वेदिक गोलियों में शीघ्र लाभ के लिए कभी-कभी जानबूझकर भारी धातुओं को मिलाया जाता है। अध्ययन पत्र में कहा गया है कि अमेरिका और भारत के निर्माताओं से इंटरनेट पर खरीदी गई आयुर्वेदिक गोलियों के एक नमूने से पता चला है कि 21 फीसद सीसा, पारा या आर्सेनिक होता है।

विषाक्तता से स्वास्थ्य संबंधी चिंतायें

इस साइट के साथ बातचीत में न्यूबर्ग सुप्राटेक रेफरेंस लेबोरेटरीज, अहमदाबाद के कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट डॉ. आकाश शाह कहते हैं- आयुर्वेदिक दवाओं में कुछ सामग्रियों में सीसा की मात्रा अधिक पाई गई है, जिससे संभावित रूप से सीसा विषाक्तता हो सकती है। पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन में कभी-कभी जड़ी-बूटियाँ, खनिज और धातुएँ शामिल होती हैं जिनमें संदूषण या अनुचित प्रसंस्करण के कारण अनजाने में सीसा शामिल हो सकता है। इससे उनकी सुरक्षा के बारे में चिंताएँ बढ़ जाती हैं।

एनीमिया और मौत तक का खतरा

उनके मुताबिक ऐसी दूषित दवाओं के लंबे समय तक उपयोग से शरीर में सीसा जमा हो सकता है, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। सीसा विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं को बाधित करता है, विशेष रूप से तंत्रिका, हृदय और गुर्दे की प्रणालियों को प्रभावित करता है। डॉक्टर के अनुसार लंबे समय तक संपर्क में रहने से संज्ञानात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याएं, विकासात्मक देरी, एनीमिया और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।

सीसा विषाक्तता के चेतावनी संकेत

दवा में सीसा की अधिक मात्रा से पेट दर्द, कब्ज, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द तथा उच्च रक्तचाप हो सकते हैं। सिरदर्द, याददाश्त की समस्या और मूड संबंधी विकार जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण आ सकते हैं। बच्चों में सीखने में समस्याएं, चिड़चिड़ापन, भूख में कमी, वजन घटना, थकान के लक्षण आ सकते हैं। उनकी सलाह है कि आयुर्वेदिक उत्पादों को प्रतिष्ठित निर्माताओं से लेना आवश्यक है और नियामक अधिकारियों को इन पारंपरिक उपचारों की सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए कड़े गुणवत्ता मानकों को लागू करने की आवश्यकता है।

Related posts

मुंबई से ही शुरू हुआ था स्वस्थ भारत अभियान

Ashutosh Kumar Singh

यहां पढ़ें पीएम मोदी के 12 योग-सूत्र

COVAXIN की 5 करोड़ खुराक अगले साल हो जाएंगी बेकार

admin

Leave a Comment