नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। आयुर्वेद के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से इस क्षेत्र में शोध के साथ ही जन जागृति के लिए ‘देश का प्रकृति परीक्षण’ अभियान पूरे देश में आयोजित करने के लिए तैयारी की बैठक दिल्ली में आयोजित की गई। आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति की अपनी विशिष्ट प्रकृति होती है जो जन्म के समय ही निश्चित हो जाती है। प्रकृति का ज्ञान व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु महत्वपूर्ण होता है।
आधुनिक होगा आयुर्वेद : जाधव
इस अवसर पर आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने कहा कि आयुर्वेद को आगे बढ़ाना है और हर घर तक ले जाना है। मैंने ये देखा है कि बीमारी के आखिरी स्टेज में भी आयुर्वेद ने लोगों का उपचार किया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में आधुनिकता होनी चाहिए और ये अभियान हमने आयुर्वेद को आगे बढ़ाने के लिए शुरू किया है। सामान्य मेडिकल स्टोर की तरह जगह-जगह पर आयुष के स्पेशल मेडिकल स्टोर खोले जाने चाहिए।
अभियान से जुड़ेंगे 4.73 हजार लोग
इस अभियान में देश के सभी आयुर्वेद कॉलेज के एक लाख 35 हजार स्नातक छात्र, 20 हजार पीजी कर रहे छात्र, इन कॉलेजों के 18 हजार अध्यापक और लगभग तीन लाख से अधिक चिकित्सक, कुल लगभग 4 लाख 73 हजार लोग स्वयं सेवक के रूप में प्रकृति परीक्षण का कार्य संपादित कराएंगे। इनके माध्यम से एक माह में एक करोड़ से अधिक नागरिकों का प्रकृति परीक्षण किया जा सकेगा। इसके माध्यम से शोध क्षेत्र का सबसे बड़ा रिसर्च सैंपल साइज मिलेगा जिससे यह भ्रांति भी दूर होगी कि आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध कार्य नहीं होते।
नोडल एजेंसी बनी NCISM
आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि प्रकृति परीक्षण अभियान को विज्ञान के आधार पर एथिकल क्लियरेन्स और डॉक्युमेंटेशन के साथ किए जाने की तैयारी हो रही है। आयुष मंत्रालय, उसकी टीम और आयुर्वेद जगत से जुड़े लोगों का इस अभियान में विशेष योगदान है। NCISM अध्यक्ष वैद्य जयंत देव पुजारी ने कहा कि इसके लिए आयुष मंत्रालय से जुड़ी सभी संस्थाओं को एक सूत्र में जोड़ा गया और सभी राज्यों के कोऑर्डिनेटर्स ने अपनी सहभागिता की है। एक नोडल एजेंसी के तौर पर NCISM इसे सफल बनाने का प्रयास कर रही है। साथ ही इसकी सफलता के लिए मंत्रालय के सभी संस्थान समग्र रूप से कार्य कर रहे हैं।