नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। आम तौर पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट मरीज और डोनर के समान ब्लड ग्रुप होने पर होता है। समान ब्लड ग्रुप न मिलने से कई बार मरीजों की जान भी चली जाती है। लेकिन दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने बिना ब्लड ग्रुप मैच हुए ही किडनी ट्रांसप्लांट करने का कारनामा कर दिखाया है।
पहली बार हुआ ऐसा ट्रांसप्लांट
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह पहली बार है जब सफदरजंग अस्पताल में डोनर और मरीज का अलग-अलग ब्लड ग्रुप होने के बावजूद सफल ट्रांसप्लांट हो गया। इस मामले में वहां किडनी की बीमारी से पीड़ित 43 वर्षीय पति को पत्नी ने किडनी दान की। वह लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित था और उसकी डायलिसिस चल रही थी। उसकी जान बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी लेकिन उसका ब्लड ग्रुप B पॉजिटिव था और पत्नी का ब्लड ग्रुप AB पॉजिटिव। ऑपरेशन के बाद सारे पैरामीटर्स ठीक काम कर रहे हैं।
ABO ट्रांसप्लांट से संभव
अस्पताल के किडनी रोग विभाग के प्रमुख प्रो. डाॅ. हिमांशु वर्मा ने बताया कि इसे ABO ट्रांसप्लांट कहते हैं जिसमें अंगदान करने वाले और अंग प्राप्त करने वाले का ब्लड ग्रुप एक नहीं होता है। डॉक्टरों ने इस तकनीक के जरिये यह सफल ट्रांसप्लांट किया। जानकारी के अनुसार वहां ABO किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध होगी जबकि निजी हॉस्पिटलों में इसका लगभग 15 लाख रुपए तक खर्च आता है। उन्होंने बताया कि यह किडनी ट्रांसप्लांट कराने वालों को लंबे समय तक मुफ्त में दवाएं देने वाला एकमात्र अस्पताल है।