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बजट : आयुष पर फोकस लेकिन मेंटल हेल्थ पर उदासी

अजय वर्मा

कोविड-19 के बुरे दौर से जूझ चुके देश को हेल्थ सेक्टर में इस बजट से बड़ी उम्मीदें थीं। कुछ तो पूरी हुई और उससे लगा कि हेल्थ इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगा। आयुष समेत देशी स्वास्थ्य प्रणालियां रफ्तार पकड़ेंगी। पर कई बाकी भी रह गये। एनीमिया मुक्त भारत बनाने, शोध के लिए प्रतिष्ठित लैब का दरवाजा खोलने जैसे महत्वपूर्ण काम हाने वाले हैं। उधर मेंटल हेल्थ को लेकर कुछ खास नजर नहीं आता। वजह यह कि हर वर्ग में अब डिप्रेशन आम है जिसकी अंतिम परिणति आत्महत्या के रूप में सामने आती है। अभी हेल्थ सेक्टर जीडीपी का 2.1 प्रतिशत हुआ है। कयास लगाये जा रहे थे कि स्वास्थ्य जरूरतों को देखते हुए सरकार इसे 2.5 फीसद तक तो ले ही आयेगी। फिर भी इतना कहा जा सकता है कि यह बजट भारत के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज हासिल करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। सरकार ने बजट में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को 89,155 करोड़ दिया जो पिछले साल के 86,200 करोड़ से लगभग 0.34 प्रतिशत अधिक है। आयुष्मान भारत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (ABDM) को 341.02 करोड़ आवंटित किए गए हैं। यह साल की तुलना में 70.51 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल यह 200 करोड़ का था। इस बजट का हासिल रहा साल 2047 तक सिकिल सेल एनीमिया से मुक्ति, 157 नए नर्सिंग कॉलेज, फार्मा सेक्टर में अनुसंधान को बढ़ाने का लक्ष्य जो अपने आप में महत्वपूर्ण है। चिकित्सा उपकरणों के लिए समर्पित पाठ्यक्रमों से भविष्य में चिकित्सा प्रौद्योगिकियों और कुशल मैनपॉवर की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में काफी मदद मिलेगी।

आयुष प्रणाली केंद्रित होगी

बजट से आयुष प्रणाली को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करने को बढ़ावा मिला है। आयुष मंत्रालय को बजट का कुल आवंटन 20 प्रतिशत बढ़ाकर 3647 करोड़ कर दिया गया है। आयुष शोध परिषदों के माध्यम से आयुष प्रणालियों में साक्ष्य आधारित शोध को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया है। प्रधान मंत्री ने हाल ही में आयुर्वेद के लिए साक्ष्य-आधारित डेटाबेस तैयार करने की वकालत की थी, जो आधुनिक विज्ञान के मापदंडों को पूरा करेगा। आयुष अनुसंधान परिषदों और संस्थानों को बढ़ता बजट आवंटन उसी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

राष्ट्रीय आयुष मिशन को 50 फीसद ज्यादा

राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) को बजट आवंटन में 800 करोड़ रुपये से 1200 करोड़ रुपये के आवंटन में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। NAM प्रमुख रूप से आयुष अस्पतालों और औषधालयों के उन्नयन के माध्यम से सार्वभौमिक पहुंच के साथ लागत प्रभावी आयुष सेवाएं प्रदान करने, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (HWC) के रूप में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के उन्नयन के माध्यम से व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और आयुष सुविधाओं के सह-स्थान पर केंद्रित है। यह चिकित्सा पौधों की खेती, आयुष की आपूर्ति के लिए गुणवत्ता और मानकीकृत संघटक के उत्पादन, कृषि प्रणालियों में औषधीय पौधों के एकीकरण और औषधीय पौधों के मूल्य वर्धित वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि का भी समर्थन करता है। बजट में भारतीय पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति की ताकत पर विचार किया गया है। होम्योपैथी, यूनानी, सिद्ध, प्राकृतिक चिकित्सा और सोवा रिग्पा जैसी अन्य आयुष प्रणालियों को शिक्षा सुविधा और सामुदायिक आउटरीच बढ़ाकर बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर बजट में उदासी

मेंटल हेल्थ के मामले में उम्मीद थी कि सरकार आत्महत्या रोकथाम को लेकर भी नई नीतियों की घोषणा कर सकती है। हालांकि 2022 में इस दिशा में सरकार ने जरूर प्रयास किए थे। बिहार के जाने-माने मनोचिकित्सक डाॅ. मनोज कुमार बताते हैं कि WHO के 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 29 साल तक के युवाओं में सबसे ज्यादा आत्महत्या दर है।  मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी की वजह से उत्पन्न सुसाइड की स्थिति तो और भयावह है। रिपोर्ट के मुताबिक 12.9 प्रतिशत आत्महत्या दर 2019 में दर्ज है जो एक लाख की आबादी पर रिकॉर्ड किया गया है। इसे क्षेत्रीय स्तर पर देखा जाये तो 10.2 फीसद और विश्व के मुकाबले में 9.0 फीसद है जो की बहुत ज्यादा है।

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